By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
THE HD NEWS
  • About us
  • Advertisement
  • Contact us
Notification
  • Home
  • States
  • Bihar
  • Jharkhand
  • Crime
  • Politics
  • National
  • Sports
  • Business
Font ResizerAa
THE HD NEWSTHE HD NEWS
Search
Follow US
Uncategorised

क्या सरकार बताएगी कि लंबे लॉक डाउन से हासिल क्या हुआ?

Gaurav Singh
Last updated: 25th July 2020 3:53 pm
By Gaurav Singh
Share
12 Min Read
SHARE

कोरोना महामारी से निबटने के लिए आज से ठीक चार महीने पहले जब देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था तब देश में कोरोना से संक्रमण के करीब 450 मामले थे और महज 18 लोगों की मौत हुई थी। लॉकडाउन लागू होने से चार दिन पहले जनता कर्फ्यू भी लगाया था और उसी दिन से सब कुछ बंद हो गया था। पहले घोषित किया गया था कि लॉकडाउन 21 दिन का होगा, फिर इसे 3 मई तक के लिए बढा दिया गया। 3 मई के बाद भी इसे कुछ मामलों में छूट देने के साथ जारी रखा गया और देश के कई राज्यों में अभी भी यह अलग-अलग स्तर पर जारी है। लेकिन इसके बावजूद देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है।

जनता कर्फ्यू, करीब दो महीने का लॉकडाउन और इसी दौरान ताली, थाली, घंटी, शंख आदि बजाने, अंधेरा करके दीया-मोमबत्ती जलाने, आतिशबाजी करने, अस्पतालों पर सेना के विमानों से फूल बरसाने और बैंड बजाने जैसे देशव्यापी कार्यक्रमों को अंजाम देने के बाद सत्ता के शीर्ष से जनता को कोरोना के साथ जीना सीखने और आत्मनिर्भर बनने का मंत्र दे दिया गया है। लोग ईश्वर आराधना कर सकें, इसके लिए धार्मिक स्थल भी खोल देने की इजाजत दे दी गई है। शॉपिंग मॉल, रेस्त्रां, क्लब आदि भी धीरे-धीरे खुलते जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण जिस तेजी से फैलता जा रहा है, उससे निबटने में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लाचारी स्पष्ट हो जाने के बाद निजी अस्पतालों को भी लूट की खुली छूट दे दी गई है। मॉस्क, सेनेटाइजर आदि की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी बेरोकटोक जारी है।

कुल मिलाकर सरकार कोरोना नियंत्रण को अपनी प्राथमिकता सूची में नीचे धकेल चुकी है। केंद्र सरकार का शीर्ष नेतृत्व राम मंदिर के शिलान्यास और आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया है। इसलिए जनता भी अब संक्रमण के बढ़ते मामलों और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों को शेयर बाजार के सूचकांक के उतार-चढाव की तरह देखने की अभ्यस्त हो रही है। विधायकों और सांसदों की खरीद-फरोख्त का खेल देखने की तो वह बहुत पहले से अभ्यस्त है, सो अभी भी देख रही है।

वैसे देखा जाए तो कोरोना संक्रमण का संकट हमारे यहां केंद्र सरकार की प्राथमिकता में कभी भी शीर्ष पर अपनी जगह बना ही नहीं पाया। भारत में कोरोना संक्रमण का आगमन जनवरी के महीने में ही हो चुका था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई विशेषज्ञ सरकार को इस बारे में सरकार को आगाह कर रहे थे, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन संकट की गंभीरता को नकारते हुए इस बारे में आगाह करने वालों को नसीहत दे रहे थे कि वे लोगों में अनावश्यक भय न फैलाएं। यही बात सत्तारूढ दल के प्रवक्ता भी टीवी चैनलों पर दोहराते राहुल गांधी की खिल्ली उड़ा रहे थे। फरवरी के महीने में ही बडी संख्या में विदेशों में रह रहे या विदेश यात्रा पर गए भारतीय स्वदेश आए थे लेकिन हवाई अड्डो पर उनकी समुचित मेडिकल जांच किए बगैर ही उन्हें अपने घर जाने दिया गया। यह लापरवाही काफी गंभीर साबित हुई देश में कोरोना संक्रमण फैलने का बडी वजह बनी।

फरवरी के महीने में ही चीन के भयावह परिदृश्य से आतंकित दुनिया के ज्यादातर देशों में जब इस जानलेवा वायरस पर नियंत्रण पाने के लिए निवारक एवं नियंत्रक उपाय और शोध शुरू हो चुके थे तब हमारे देश की सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति का ढोल-नगाड़े के साथ खैरमकदम करने में व्यस्त थी। गुजरात के अहमदाबाद शहर में विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के सम्मान में आयोजित हुआ कार्यक्रम देश में कोरोना फैलने की दूसरी बडी वजह बना, क्योंकि इस आयोजन में शामिल होने के लिए करीब 15 हजार अनिवासी भारतीय उस अमेरिका से भारत आए थे, जहां कोरोना संक्रमण फैलना शुरू हो चुका था।

मार्च के महीने भी हमारी सरकार के शीर्ष नेतृत्व की प्राथमिकता में कोरोना का संकट नहीं बल्कि एक प्रदेश में विपक्षी दल की सरकार गिराकर अपनी सरकार बनाना था। यह सब काम निबटाने के बाद ही सरकार को कोरोना संकट याद आया। पहले प्रायोगिक तौर पर एक दिन का जनता कर्फ्यू और फिर मार्च के आखिरी सप्ताह में बगैर किसी तैयारी के आनन-फानन में लॉकडाउन लागू कर देश को नौकरशाही और पुलिस के हवाले कर दिया गया। यह सिलसिला अभी देश के कई राज्यों में आंशिक या पूरी तरह जारी है।

देश में कोरोना वायरस का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है और जून में अनलॉक के बाद अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सुधार की जो उम्मीदे बंधी थीं, वह भी खत्म हो रही है। हैरानी की बात है कि बिल्कुल सामने दिख रही हकीकत को नजरअंदाज करते हुए सरकार की ओर से लगातार प्रचारित किया जा रहा है कि देश में सब कुछ ठीक चल रहा है। जबकि हकीकत यह है कि कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है- न तो कोरोना से निबटने के मोर्चे पर और न ही अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में।

अगर कोरोना संक्रमण से संबंधित आंकडों को ठीक से देखें तो दुनिया के अन्य देशों के आंकडों से तुलना करें तो पता चलता है कि भारत तेजी से दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देश बनने की ओर बढ़ रहा है। भारत में संक्रमण के बढते मामलों, संक्रमण से हो रही मौतों और गंभीर होते मामलों की रोकथाम के लिए गंभीर प्रयास करने के बजाय भारत सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि देश में ज्यादा लोग ठीक हो रहे हैं।

यह सही है कि भारत में ज्यादा लोग इलाज से ठीक हो रहे है और यह भी सही है कि भारत अभी दुनिया मे तीसरे स्थान पर है। लेकिन यह भी हकीकत है कि अब संक्रमण के रोजाना आने वाले मामलों में भारत अब ब्राजील को पीछे छोड़ अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आ गया है। पिछले एक सप्ताह के दौरान ब्राजील के मुकाबले ज्यादा मामले भारत में आए हैं। ब्राजील में मामले कम हो रहे है और भारत में बढ़ रहे हैं। रोजाना होने वाली मौतों के मामले में भी भारत दूसरे स्थान पर आ गया है। अमेरिका से ज्यादा लोगों की मौत भारत में हो रही है। कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीजों की संख्या के मामले में भी भारत अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। हालांकि ब्राजील और भारत एक दूसरे के आगे-पीछे होते रहते हैं।

इस पूरे सूरत-ए-हाल के बावजूद केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से हर दिन यह बताया जा रहा है कि देश में कोरोना वायरस के संकट की गंभीरता कम हो रही है और ज्यादा चिंता की बात नहीं है, जबकि राज्यों में संकट लगातार गहराता जा रहा है। राज्य सरकारें चिंतित हैं और उन्हें बचाव का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है तो वे लॉकडाउन लगा रही है। इस समय करीब एक दर्जन राज्यों में मिनी लॉकडाउन लग रहा है, जिसे सोशल मीडिया में मज़ाक के तौर पर लॉकडाउन का छोटा रिचार्ज कहा जा रहा है। पूरे देश में लगे कंपलीट लॉकडाउन की तर्ज पर राज्य सरकारें अपने यहां किसी खास दिन को या किसी खास शहर में लॉकडाउन लागू कर रही हैं।

वैसे राज्य सरकारों की स्थिति भी विचित्र है। एक तरफ जहां वे स्थिति को काबू करने के लिए लॉकडाउट का सहारा ले रही हैं, वहीं दूसरी और हालात की असलियत छुपाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट करने से बच रही हैं। उन्हें लगता है कि ज्यादा टेस्ट कराने से ज्यादा मामले सामने आएंगे, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते अफरातफरी और लोगों में घबराहट फैलेगी। मरीजों की कम संख्या दिखाने का यह आइडिया मूल रूप से अमेरिका का है, जिसे भारत में सबसे पहले गुजरात ने अपनाया। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तेलंगाना, झारखंड आदि राज्यों ने भी गुजरात का अनुसरण किया।

कोरोना को लेकर सबसे अजीब हालात बिहार में दिख रहा है। राज्य में केस 34 हजार पहुंच चुका है। कोरोना से करीब 240 लोगों की मौत सरकारी तौर पर हो चुकी है। मरने वालों में काफी संख्या में नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हैं। पिछले चार दिनों में (24 जुलाई तक) कोरोना की वजह से बिहार में पांच नेताओं की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री पिछले छह महीने से कोरोना के भय से घर में छिपे बैठे हैं। बावजूद इसके चुनाव की तैयारी को लेकर सत्ताधारी जदयू और भाजपा कुछ ज्यादा ही सक्रिय दिख रही है। दोनों की पार्टियां वर्चुअल रैली कर रही है। सोशल मीडिया के जरिए वोटरों को साधने की कोशिशें भी हो रही है। लेकिन कोरोना काल में न तो लोगों को ईलाज मिल पा रहा है और न ही लॉक डाउन में भूख से तड़प रहे लोगों को भोजन। बावजूद इसके नीतीश और मोदी के कार्यकर्ता पूरी बेशर्मी के साथ सोशल मीडिया के जरिए अपनी सरकार की झूठी उपलब्धि बयां कर जनता को बरगलाने में लगे हैं। बिहार सिर्फ कोरोना और लॉक डाउन को नहीं झेल रहा है, बल्कि राज्य के कई जिले इस वक्त बाढ़ का कहर झेल रहे हैं। सूबे में करीब 16 लाख की आबादी इनदिनों बाढ़ में कराह रही है लेकिन न तो सरकार का कोई नुमाइंदा और न ही सरकारी अफसर इस मामले में गंभीर दिख रहे हैं। बिहार में हालात ऐसे हैं जैसे जनता को उनकी किस्मत पर जीने-मरने के लिए छोड़ दिया गया हो। सरकार और सियासी पार्टियां तो बस चुनाव की तैयारी में लगी है और सरकारी अमला भी इसी मिशन को अंजाम देने में जुटा है।

यह पूरी स्थिति यही जाहिर करती है कि केंद्र सरकार भले ही कुछ भी दावा करे मगर राज्यों में हालात ठीक नहीं हैं। ऐसे में अगर दिशाहिन केंद्र की मोदी सरकार आने वाले दिनों में एक बार फिर देशव्यापी कंपलीट लॉकडाउन लागू कर देने जैसा कदम उठाए तो कोई ताज्जुब नहीं। मगर सरकारों से यह सवाल तो पूछा ही जाना चाहिए कि लॉकडाउन के अब तक चले आ रहे लंबे सिलसिले से भारत ने आखिर क्या हासिल किया?

संदीप सिंह की रिपोर्ट

Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

  • नीतीश ने 8 मंत्रियों के साथ ली शपथ, 9वीं बार बने बिहार के सीएम, देखे मंत्रियों के लिस्ट…
  • ED से 10वां समन मिलते ही देर रात दिल्ली रवाना हुए CM हेमंत सोरेन
  • बिहार में भाजपा के समर्थन में नई सरकार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उप मुख्यमंत्री पद का लेंगे शपथ…
  • बिहार में बीजेपी समर्थन से 9वीं बार शपथ को तैयार नीतीश कुमार, सबसे ज्यादा बार शपथ लेने का होगा बड़ा रिकॉर्ड है
  • ब्रेकिंग न्यूज़: CM नीतीश कुमार ने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को सौंपा इस्तीफा, नौंवी बार मुख्यमंत्री पद की लेंगे शपथ

Categories

You Might Also Like

ChapraHD SpecialNationalUncategorised

छपरा में 45 वी जूनियर बालिका नेशनल हैंडबॉल प्रतियोगिता में 27 राज्य के 500 से अधिक खिलाड़ी हुए शामिल

By sweetysharma
Uncategorised

फसल चराने का किया विरोध तो दबंगों ने किसान के घर में लगाई आग, चलाई गोली, परिजनों ने किया सड़क जाम

By sweetysharma
Uncategorised

भागलपुर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मां आनंदी संस्थान की ओर से पंच कुंडीय हवन यज्ञ का हुआ आयोजन

By sweetysharma
Uncategorised

नालंदा में  13 जनवरी से गायब दरोगा सुनील कुमार यादव के पुत्र अंतू कुमार का शव कैंब्रिज स्कूल के पास से हुआ बरामद

By sweetysharma

About us

The HD News is a Renowned News & Media organization operated from Bihar & Jharkhand. Read latest hindi news, political news, and various articles in entertainment, gadgets, health and technology. Subscribe to our news portal for daily news updates.

Facebook Twitter Instagram Youtube Whatsapp
Company
More Info

Sign Up For Free

Subscribe to our newsletter and don't miss out on our programs, webinars and trainings.

Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?