RANCHI: 28 जुलाई से शुरू होने जा रहे झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में मॉब लींचिंग पर राज्य सरकार विधेयक ला सकती है। राज्यपाल की ओर से इस विधेयक में कई कमियां बता कर इसे वापस कर दिया गया था। खबर है कि सरकार ने इन कमियों को दूर कर लिया है। कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। इसी बीच पूर्व सीएम और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि आखिर मुख्यमंत्री जी इस विधेयक के लिए इतना व्याकुल क्यों हैं? ”
“धर्मपरिवर्तन रोकने ” और ” लव जिहाद ” पर लाएं विधेयक
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन “मॉब लीचिंग” पर फिर एक बार विधेयक लाने जा रहे हैं । पिछले विधेयक को राज्यपाल ने लौटा दिया था। अगर मन में तनिक भी ईमानदारी है तो “धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए भी विधेयक लाइए” लव जिहाद ” से पूरा झारखंड विशेष कर संथालपरगना और संताल समुदाय तबाह हो रहा है। दम है तो इसपर विधेयक लाइए।
ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वोटर नाराज होंगे
उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में लिखा है कि “धर्मपरिवर्तन रोकने” और “लव जिहाद” पर विधेयक लाने की बात आप नहीं करेंगे। इन पर विधेयक आप नहीं लाएंगे। आपका घुसपैठिया वोटर नाराज हो जाएगा। झारखंड की हजारों संताल/आदिवासी लड़कियों समेत अन्य की लव जिहाद, धर्मपरिवर्तन ने जिंदगी छीन ली। हम इस मुद्दे को छोड़ने वाले नहीं हैं। सरकार में आएंगे तो “चांडालों” को सबक सिखाएंगे।
मॉब लींचिंग विधेयक राजभवन की आपत्ति
विधेयक के अंग्रेजी संस्करण में धारा दो के उपखंड (1 ) के उपखंड 12 में गवाह संरक्षण योजना का जिक्र किया गया है। लेकिन हिंदी संस्करण में इसका जिक्र ही नहीं है।
राज्यपाल ने इसी धारा के उपखंड (1 ) के उपखंड 6 में दी गई भीड़ की परिभाषा पर भी आपत्ति की थी। कहा गया था कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह को अशांत भीड़ नहीं कहा जा सकता।
दोषी को आजीवन कारावास और 25 लाख तक जुर्माने का था प्रावधान 110 मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक -2021 में दोषी पाए जाने पर तीन साल से सश्रम आजीवन कारावास और 25 लाख रुपए जुर्माने के साथ संपत्ति की कुर्की तक का प्रावधान था ।
दोषी को आजीवन कारावास और 25 लाख तक जुर्माने का था प्रावधान
गंभीर चोट आने पर भी 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया था। वहीं भीड़ को उकसाने वालों को दोषी मानते हुए उन्हें तीन साल की सजा देने की व्यवस्था थी। विधेयक में पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और पीड़ित के मुफ्त इलाज की व्यवस्था का प्रावधान भी किया गया था।