रांची : झारखंड में मौसम का मिजाज बदला-बदला सा है. इस कारण राज्य के कई जिलों में बारिश और आसमान में बादल छाये रहने के कारण तापमान गिर गया है और लोगों को चिलचिलाती धूप और गर्मी से राहत मिल गई है. मौसम विभाग की मानें तो सात मई तक लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है. आज मंगलवार को गुमला, पाकुड़, देवघर, दुमका और गोड्डा में मेघ गर्जन के साथ बारिश की संभावना है. इस दौरान वज्रपात की भी आशंका है. इसे लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है. राजधानी रांची में आसमान में बादल छाये हुए हैं.
बारिश को लेकर पूर्वानुमान
मौसम केंद्र के पूर्वानुमान के अनुसार सात मई तक झारखंड के लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है. आज मंगलवार को राज्य के उत्तर-पूर्वी, दक्षिणी तथा मध्य भागों में बारिश हो सकती है. चार मई को राज्य के दक्षिणी तथा मध्य भाग में मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है. पांच व छह मई को राज्य के उत्तर-पूर्वी, दक्षिणी तथा मध्य भाग में बारिश हो सकती है. सात और आठ मई को भी आंशिक बादल छाये रहेंगे.
पिछले 24 घंटे में कई इलाकों में बारिश हुई. सबसे अधिक करीब 40 मिमी बारिश बड़कागांव (हजारीबाग) इलाके में हुई. इसके अतिरिक्त जरमुंडी में 36, गोड्डा में 23, दुमका में 20, डुमरी में 19, चाईबासा में 14 मिमी के आसपास बारिश हुई. पिछले चार दिनों में राजधानी का अधिकतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस गिर गया है. अभी 34 डिग्री सेल्सियस पर आ गया है.
23 साल बाद रांची में अप्रैल में बारिश नहीं
इस वर्ष अप्रैल महीने में एक दिन भी ऐसी बारिश नहीं हुई, जिसे रिकॉर्ड में दर्ज कर सकें. 1999 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब पूरे अप्रैल महीने में राजधानी रांची में एक दिन भी बारिश नहीं हुई. इस कारण आधा दर्जन बार राजधानी का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेसि से पार रहा. 1969 से लेकर अब तक राजधानी में 1974, 1989, 1995 तथा 1999 में एक दिन भी अप्रैल माह में बारिश नहीं हुई.
मौसम केंद्र से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, राजधानी में 1971 में अप्रैल महीने में सबसे अधिक 10 दिन बारिश हुई थी. औसतन अप्रैल में पांच से सात दिनों तक बारिश होती है. इस वर्ष राजधानी का अप्रैल का औसत तापमान 39.4 डिग्री सेसि रहा. चार दिनों तक लू चली. इस वर्ष अप्रैल में डालटनगंज में 16 दिनों तक लू चली. पिछले पांच साल में यह सबसे अधिक है. जमशेदपुर में अप्रैल में चार दिनों तक लू चली.
जलवायु परिवर्तन का असर
मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक स्तर पर परिवर्तन दिख रहा है. जहां एक ओर ध्रुवों का बर्फ पिघलने से समुद्री जलधाराएं अशांत हुई हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशांत महासागर में लानिना की स्थिति पांच माह से सक्रिय है. अटलांटिक महासागर में उत्पन्न हो रहे पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में भारतीय भूभाग में लगातार नमी की कमी हो रही है और निचले व मध्य स्तर पर गर्म पश्चिमी हवाएं सक्रिय हैं. यही मार्च और अप्रैल में लू के बनने का कारण हैं.
गौरी रानी की रिपोर्ट