द एचडी न्यूज डेस्क : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और उसके सहयोगी दलों की रणनीति का जो भी अनौपचारिक रुख सामने आया है, उसके मुताबिक दिवंगत दलित नेता राम विलास पासवान की मृत्यु से खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए किसी दलित नेता को आगे लाया जा सकता है. अलबत्ता अभी तक अनिर्णय की स्थित बरकरार है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव विधानसभा, स्पीकर पद और अब राज्यसभा चुनाव में एनडीए को चुनौती देने की फिराक में लगे हुए हैं.

राजद सूत्रों के मुताबिक, दलित नेता बतौर दिवंगत नेता राम विलास पासवान की पत्नी रीना पासवान को वह प्राथमिकता पर रखे हुए है. अलबत्ता इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं हो सका है. महागठबंधन के विभिन्न घटक दल कांग्रेस और वाम दल के शीर्ष नेताओं ने भी इस संदर्भ में उनसे प्रयास साधा है. हालांकि मुस्लिम उम्मीदवार का विकल्प अभी बना रखा है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक रीना पासवान को राज्य सभा की जंग में उतारकर राजद एक तीर से दो निशाने लगाना चाहता है. अव्वल तो वह इस दांव के जरिए लोजपा को अपने कैंप में जोड़ लेगा. दूसरी तरफ, दलित वोटर्स को संदेश भी दिया जा सकेगा कि राजद के नेतृत्व में महागठबंधन उसका सच्चा हितैषी है. अगर रीना पासवान बतौर दलित नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होती हैं, तो राजद नेतृत्व वाला महागठबंधन किसी अन्य नेता पर भी दांव लगा सकता है. इसके लिए राजद अपनी पार्टी के किसी दलित नेता को सामने ला सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, राजद ने मुस्लिम प्रत्याशी वाला कार्ड भी महागठबंधन ने विकल्प के रूप में सुरक्षित रख रखा है. बिहार के सियासी गलियारे में जिन दलित नेताओं के नामों की चर्चा है, उनमें श्याम रजक सबसे प्रमुख बताए जा रहे हैं. इसके अलावा राजद की दलित नेत्री समता देवी या पार्टी का कोई मांझी नेता प्रत्याशी बनाया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन दलित प्रत्याशी उतारकर यह संदेश देना चाहता है कि महागठबंधन ही दलितों का असली शुभ चिंतक है. जिसे आगामी चुनावों में भुना सकें.