पलामू : झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में इन दिनों जानवरों की संख्या काफी बढ़ी है. पिछले साल से हुए लॉकडाउन की वजह से पर्यटकों का मूवमेंट बंद है. यही वजह है कि टाइगर रिजर्व एरिया में काफी जानवर देखे जा रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के ट्रैकर और स्थानीय ग्रामीण भी बता रहे हैं की जानवरों कि संख्या बढ़ी है और ग्रामीणों को जानवर नुकसान भी पहुंचा रहे है.
पलामू टाइगर रिजर्व में भी मार्च 2020 से पर्यटकों का आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. यही वजह है कि पलामू टाइगर रिजर्व में इन दिनों जानवरों की संख्या काफी बढ़ गई है. आसपास के ग्रामीण इलाके में जानवर ग्रामीणों के फसल को भी नुकसान कर रहा है और जानवरों को भी मार रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आने वाले कई गांव के ग्रामीण परेशान है क्योंकि उनके गांव में जानवरों की गतिविधियां बढ़ गई है. खेतों को नुकसान कर रहे हैं घरों को तोड़ रहे हैं. ताजा उदाहरण है बेतला से सटे गाड़ी गांव की जहां के ग्रामीण परेशान हैं. उनका कहना है कि जानवर काफी बढ़ गया है और गांव में घुसकर फसल को बर्बाद कर रहा है. हाथी, हिरण, बंदर और तेंदुआ जैसे जानवर से परेशानी ग्रामीण बार-बार वन विभाग को भी अपने नुकसान का जानकारी दे रहे हैं.
पलामू टाइगर रिजर्व अंतर्गत बेतला नेशनल पार्क में भी जानवरों की संख्या बढ़ी है. पलामू टाइगर रिजर्व के ट्रैक्टर की मानें तो अभी उन्हें जंगलों में ज्यादा जानवर दिखाई दे रहे हैं. वह चाहे हिरण हो हाथी हो लेपर्ड हो या फिर अन्य जानवर लगातार दिखाई दे रहे हैं. इधर, बेतला नेशनल पार्क के रेंजर प्रेम प्रकाश की भी माने तो कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण बंद बेतला नेशनल पार्क में अब जानवरों की संख्या काफी बढ़ी है. जबकि पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर कुमार आशुतोष का मानना है कि कई ऐसे संकेत मिल रहे हैं. बाघ की मौजूदगी का भी संकेत मिल रहे हैं. अभी फिलहाल ट्रैकर को सख्त ड्यूटी लगाई गई है. ताकि बाघों की मौजूदगी को पता लगाया जा सके.
एक तरफ जहां पर्यटकों का आवागमन बंद होने से आसपास के स्थानीय लोगों का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है. वहीं दूसरी ओर इसका फायदा सीधा टाइगर प्रोजेक्ट को हुआ है. जानवरों की संख्या बढ़ी है. वैसे ग्रामीणों को चिन्हित कर जिनका जानवर नुकसान कर रहे हैं. उन्हें समुचित मुआवजा देने की ताकि ग्रामीण जानवरों के प्रति उग्र ना हो सके.
गौरी रानी की रिपोर्ट