PATNA : बिहार की राजनीति में एक बार फिर विलय-गठबंधन के प्रयास तेज होते दिख रहे हैं। माना जा है कि उपेंद्र कुशवाहा का एनडीए में लौटना तय हो गया है। बता दें जदयू से अलग होकर अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन के बाद कुशवाहा ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में बैठक में एनडीए में वापसी तथा सीट बंटवारे पर चर्चा की।
वहीं करीब 45 मिनट की मुलाकात के दौरान बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल और रालोजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव माधव आनंद भी थे। साथ ही भाजपा में नरेंद्र मोदी के उभार के बाद 2014 में बिहार में बने नए एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा भाजपा के हमसफर रह चुके हैं। उस वक्त भाजपा ने राजग गठबंधन में कुशवाहा की पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए तीन सीटें दी थीं और रालोसपा ने तीनों ही सीटों पर जीत भी दर्ज कराई थी।
साथ ही कुशवाहा केंद्र सरकार में मंत्री भी बने। 2017 में नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ हाथ मिलाकर एनडीए में आने के बाद से कुशवाहा का समीकरण बिगड़ा और 2018 के कुशवाहा सरकार से इस्तीफा देकर निकल गए। कुशवाहा ने बाद में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद उनके साथ मिलकर अपनी नई पारी की शुरुआत की, लेकिन यह यात्रा भी लंबी नहीं चली।
अंततः उन्होंने नीतीश कुमार और उनकी जदयू को अलविदा कहा और अपना नया संगठन राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन कर लिया। इसके बाद से लगातार चर्चा थी कि कुशवाहा वापस राजग में जा सकते हैं। भाजपा की नजर भी कुशवाहा पर थी। गुरुवार को दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, तो तय हो गया कि वह फिर एनडीए के साथ हो गए हैं।
बता दें कि इससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उस समय भी अटकलें तेज हुई थीं। हालांकि, मांझी ने बाद में साफ कहा था कि वह नीतीश कुमार को ही समर्थन देंगे।
पटना से विशाल भारद्वाज की रिपोर्ट