रांची : झारखंड की राजधानी रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में मेडिकल विभाग के एचओडी डॉ. उमेश प्रसाद का शनिवार सुबह निधन हो गया. डॉ. प्रसाद मल्टीपल मायलोमा बीमारी से जूझ रहे थे. यह एक प्रकार का ब्लड कैंसर है. बीमार होने के बावजूद डॉ. उमेश प्रसाद व्हील चेयर के सहारे हर रोज मरीजों को देखने रिम्स आते थे. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का इलाज करने वाले चिकित्सक डॉ. उमेश प्रसाद का निधन हो गया. उन्होंने दो वर्ष से ज्यादा समय तक रिम्स में लालू यादव का इलाज किया. मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का कैंसर है.
बन्ना गुप्ता ने डॉ. उमेश प्रसाद के निधन पर जताया दुख
डॉ. उमेश प्रसाद के निधन होने पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बन्ना गुप्ता ने शोक व्यक्त किया है. स्वास्थ्य मंत्री ने अपने शोक संदेश में ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और परिजनों को दुख सहने का साहस देने की प्रार्थना की.
मैलिग्नेंट प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर
यह मैलिग्नेंट प्लाज्मा कोशिकाओं के कारण होता है. मायलोमा बोन मैरो में पाई जाने वाली कोशिकाओं का एक ब्लड कैंसर है. डॉ. उमेश प्रसाद की पहचान रांची के प्रख्यात चिकित्सकों में थी. कोरोना महामारी के बीच वह लगातार रिम्स में सेवा देते रहे. लालू प्रसाद यादव के रांची जेल से रिम्स में भर्ती होने के बाद डॉ. उमेश प्रसाद लगातार उनका इलाज करते रहे. कोविड के मामले बढ़ने के बावजूद उन्होंने लालू प्रसाद को बीमारी से सुरक्षित रखा. लालू को एम्स भेजने की सलाह दी थी.
लालू यादव का रखते थे खास खयाल
लालू प्रसाद यादव की तबीयत की लगातार निगरानी करते हुए डॉ. उमेश प्रसाद समय-समय पर उन्हें जरूरी सलाह देते रहे. लालू यादव की सेहत में सुधार नहीं होने पर उन्होंने उन्हें एम्स. भेजने की सलाह दी. गौरतलब है कि एक समय लालू यादव को गंभीर निमोनिया हो गया था. डॉ. उमेश प्रसाद समय रहते स्थिति को समझ गए. उनकी सलाह पर रिम्स में मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया. बोर्ड ने डॉ. उमेश प्रसाद की राय से सहमति जताई.
डॉ. उमेश प्रसाद के निधन से रिम्स में शोक
डॉ. उमेश प्रसाद के निधन के बाद रिम्स में शोक की लहर फैल गई है. वरिष्ठ डॉक्टर्स से लेकर जूनियर डॉक्टर्स तक घटना पर दुख व्यक्त किया. हेल्थ कर्मचारियों ने भी अपनी तरफ से शोक जताया है. रिम्स के निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि हमने एक अनुभवी चिकित्सक खो दिया. अस्पताल में उनकी कमी हमेशा रहेगी. वो अच्छे चिकित्सक होने के साथ अच्छे दिल वाले इंसान थे. लोगों को बेहतर इलाज देने का अपना फर्ज समझते थे.
एक महीने पहले मिली थी अहम जिम्मेदारी
मिली जानकारी के मुताबिक, डॉ. उमेश प्रसाद को एक महीना पहले ही मेडिसिन विभाग का एचओडी बनाया गया था. विभाग के एचओडी डॉ. जेके मित्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी. इससे पहले भी डॉ. उमेश मेडिसिन विभाग के यूनिट इंचार्ज थे. डॉ. डीके झा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उमेश प्रसाद की जितनी तारीफ की जाए वह कम है. सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक जब पता चला कि उन्हें कैंसर है उसके बाद उनकी तबीयत धीरे-धीरे लगातार खराबी होती गई.
आखिरी स्टेज में पहुंच चुकी थी कैंसर की बीमारी
मेडिसिन विभाग के सभी डॉक्टरों ने उमेश प्रसाद बेहतर चिकित्सा को लेकर काफी प्रयास किया लेकिन जिस स्थिति में कैंसर पहुंच चुका था उसमें काफी देर हो चुकी थी. डॉक्टरों का मोरल सपोर्ट हमेशा डॉक्टर उमेश प्रसाद के साथ रहा. यही कारण है उनकी तबीयत खराब रहने के बावजूद डॉ. उमेश प्रसाद को मेडिसिन विभाग के एचओडी बनाया गया. उनके साथ काम करने वाले डॉक्टर उनके साथ गुजारे हुए पल को याद कर भावुक हो गए.
गौरी रानी की रिपोर्ट