रांची : केंद्रीय मंत्रियों के झारखंड दौरे पर रोक नहीं लगेगी. राज्य निर्वाचन आयोग मंत्रियों के सरकारी दौरे को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं मानता. यदि वे सरकारी दौरे के क्रम में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार करेंगे तो इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा. आयोग ने फिलहाल इसकी जिम्मेदारी उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को देने का निर्णय लिया है कि केंद्रीय मंत्रियों के दौरे के कम में आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है या नहीं. यदि आचार संहिता का उल्लंघन होता है तो उपायुक्त संबंधित प्रविधानों के तहत आवश्यक कार्रवाई करेंगे. बताया जाता है कि आयोग इसे लेकर उपायुक्तों को पत्र भेज रहा है.
आपको बता दें कि झामुमो तथा कांग्रेस ने संयुक्त रूप से राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंपकर केंद्रीय मंत्रियों के दौरे पर रोक लगाने की मांग की है. दोनों दलों का कहना है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है, क्योंकि केंद्रीय मंत्री भाजपा के कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार पर भारत के संघीय ढांचे पर प्रहार करने का आरोप लगाया है.
प्रकाश ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों का राज्य के विभिन्न आकांक्षी जिलों में प्रवास निर्धारित है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें आवश्यक सुविधा उपलब्ध नहीं करा रही जो कि प्रोटोकाल का पूरी तरह से उल्लंघन है. सवाल उठाया कि कांग्रेस पार्टी के नेता जब राज्य के दौरे पर आते हैं उन्हें किस दर्जे के तहत राज्य सरकार सुविधा उपलब्ध कराती है. दीपक प्रकाश ने कहा कि झारखंड सरकार के पदाधिकारी विभागीय कार्यों की समीक्षा होने से डर रहे हैं. इसीलिए आदर्श आचार संहिता का बहाना ढूंढ़कर केंद्रीय मंत्रियों के झारखंड दौरे को टलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
भाजपा नेता ने कहा कि आचार संहिता राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जो चुनाव क्षेत्र आते हैं वहां तक लागू है, न कि शहरी निकाय, नगरपालिका और निगम क्षेत्र में. स्पष्ट है कि केंद्रीय मंत्रियों का प्रवास आदर्श आचार संहिता के दायरे में नहीं आता. परंतु अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए राज्य सरकार के इशारे पर पदाधिकारी विधि विरुद्ध निर्णय ले रहे है. कहा, राज्य सरकार के मंत्रियों के दौरे हो रहे हैं, सत्ताधारी दल कांग्रेस पार्टी के सांगठनिक कार्यक्रम चल रहे, परंतु केंद्रीय मंत्रीगण के दौरे में इन्हें आचार संहिता की याद आने लगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इशारे पर पदाधिकारी ऐसे विधि विरुद्ध निर्णय लेने से बचें.
झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान 32 प्रखंड विकास पदाधिकारियों के पदस्थापन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस मामले को लेकर शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग पहुंची. भाजपा के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव से मुलाकात कर उन्हें इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा. भाजपा ने इसे आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन मामला बताया और तत्काल पदस्थापन के आदेश को रद करने की मांग की. प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश मीडिया सह प्रभारी योगेन्द्र प्रताप सिंह, सह प्रभारी अशोक बड़ाईक, प्रदेश लीगल सेल संयोजक सुधीर श्रीवास्तव शामिल थे.
भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने सचिव को मांग पत्र सौंपते हुए कहा कि झारखंड में पंचायत चुनाव की घोषणा नौ अप्रैल को हो चुकी है और पूरे प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू है. बावजूद इसके 15 अप्रैल को (प्रथम चरण के नामांकन से एक दिन पहले) झारखंड सरकार ने 32 प्रखंड विकास पदाधिकारी का पदस्थापन कर दिया. प्रखंड विकास पदाधिकारी का तबादला राज्य सरकार का विशेषाधिकार है परंतु चुनाव प्रक्रिया के बीच इतनी बड़ी संख्या में प्रखंड विकास पदाधिकारी का तबादला करना न सिर्फ आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है बल्कि राज्य में मतदाताओं के बीच विशेष उम्मीदवारों को जिताने के लिए किया गया प्रयास भी है. चुनाव प्रक्रिया के दौरान सरकार द्वारा किए गए इस थोक भाव के तबादले से राज्य निर्वाचन आयोग की छवि धूमिल हो रही है. निर्वाचन आयोग को मोहरा बनाकर सरकार द्वारा थोक भाव में उपरोक्त तबादले किए गए हैं. प्रतिनिधिमंडल ने पदाधिकारियों के पदस्थापन को तत्काल रद करने की मांग की.
गौरी रानी की रिपोर्ट