राज्य की आबादी के अनुसार कोरोना की जांच के मामले में झारखंड की स्थिति बिहार से बेहतर है। यही नहीं, संक्रमण के फैलाव (पॉजिटिविटी रेट) की स्थिति भी झारखंड में बिहार से बेहतर है। आंकड़ों की बात करें तो बिहार में जहां अब तक प्रति मिलियन महज 3595 लोगों के टेस्ट किए जा सके हैं वहीं झारखंड में जांच की रफ्तार लगभग दो गुनी है। झारखंड में अभी तक प्रति मिलियन 6655 लोगों की जांच की जा चुकी है।
सबसे अच्छी बात यह है कि संक्रमण का प्रसार (पॉजिटिविटी)भी बिहार की तुलना में झारखंड में कम है। बिहार में जहां प्रति मिलियन 280 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो रही है, वहीं झारखंड में प्रति मिलियन महज 203 मरीज मिल रहे हैं। आबादी की तुलना में जांच अधिक होने के कारण झारखंड में मरीजों का ग्रोथ रेट बढ़ गया है। मरीजों की पहचान ज्यादा हो रही है। बिहार में जहां संक्रमण का औसत विकास दर (एवरेज ग्रोथे रेट) 5 प्रतिशत है वहीं झारखंड का औसत विकास दर बढ़कर 6.06 पहुंच चुका है।