बालूमाथ (बुकरू) : फुलबसिया रेलवे कोयला साईडिंग से लेकर शिवपुर रेलवे साइडिंग तक दहशतगर्दी के साए में अवैध वसूली का खेल चल रहा है. रैक लोडिग के बहाने चल रहे इस गोरखधंधे से विभिन्न नक्सली संगठनों व उसके समर्थक फल-फूल रहे हैं. हालांकि इन कोयला साईडिंगो मे पुलिसिया कारर्रवाई के चलते इलाके से कोयला ट्रांस्पोर्टरों बड़े कंपनियों को नई ताकत मिले है.
वहीं इस कारर्रवाई को आड़ में कई कनीय पुलिस अधिकारियों की भी संलिप्तता रहती है लेकिन अभी तक ऐसे किसी आरोप की पुष्टि नहीं हुई है. इस काली कमाई के खेल को विस्थापन की बुनियाद पर खड़ा किया गया है. कतिपय विस्थापितों को एकजुट कर एक कमेटी गठित कर ली गई है. सूत्रों का कहना है कि कमेटी के लोग रैक लोडिग के बहाने 50 रुपए प्रतिटन से लेकर 80 रुपए प्रतिटन की दर से वसूली करते हैं. चूंकि एक रैक में 38 से 45 सौ टन कोयला लोड होता है. इस हिसाब से प्रति रैक दो से तीन लाख रुपये की वसूली होती है. उसमें से एक लाख रुपए लोडर व शिफ्टिग में खर्च हो जाते हैं. बाकी के लाखों रुपए रंगदारी, व विभिन्न नक्सली संगठनों के नाम पर बांट दिया जाता है. अभी बालूमाथ, बुकरू, फुलबसिया तथा शिवपुर रेलवे कोयला साइडिंग के चालू हुए महज एक वर्ष हो चुके हैं.
इस अल्प अवधि में ट्रांस्पोर्टरों को करोड़ रुपए तो सीसीएल, रेलवे को अरबों आमदनी को हो चुकी है. पर उक्त विभिन्न साईडिंग के आस-पास के इलाकों में विकास के नाम पर रेलवे, सीसीएल व कोयला ट्रांस्पोर्टरों के द्वारा कुछ भी नहीं किया गया है. सबसे अहम बात तो यह है की रेलवे लाइन पर कोयला के लिए मालवाहक ट्रेन तो दौड़ा दिया गया है. पर सरकार व रेल विभाग के द्वारा अब तक झुठें आश्वासन के अलावा यात्री ट्रेन नहीं दिया जाना बालूमाथ, बुकरू, फुबसिया व शिवपुरवासियों को धोखा है.
बहरहाल उक्त सभी रेलवे साइडिंग से अब तक लाखों रैक कोयला निजी बिजली संयंत्रों व अन्य को भेजा जा चुका है. जानकारों की माने तो लेन देन का सारा खेल रांची में होता है. तथा सबकुछ नियोजित तरीके से चल रहा है.
परमेश पांडेय की रिपोर्ट