बांका : जिले के बौसी पंखंड स्थित मंदार पर्वत के तलहट्टी में सदियों से मकर संक्रांति के दिन पापहरणी सरोवर में महाकुंभ स्नान की परंपरा रही है. देवासुर संग्राम के समुद्र मंथन में मंदार को मथानी के लिए प्रयुक्त किया गया था. जिसमें विष और अमृत के साथ 14 प्रकार के रत्नों की प्राप्ति हुई थी. कहते हैं मंदार की शिखर को देखने से नर नारायण हो जाते हैं. कामधेनु को साक्षात सामने देखने से पुनः जन्म लेने की कोई जरूरत नहीं है. शास्त्र वर्णित है- मंदार शिखरं दृष्ट्वा, दृष्ट्वा वा मधुसूदनम्.. कामधेनु मुखम दृष्ट्वा पुनर्जन्म न विद्यते.
मंदार पर्वत जिसके तलहट्टी पर पापहरणी सरोवर है. पौराणिक मंदार पर अंग-बंग, सनातनी आदिवासी सफा धर्मावलंबियों के साथ जैन मतावलंबियां का समागम स्थल बना है. जहां लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. वहीं कोरोना को लेकर पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित होने वाला राजकीय मंदार महोत्सव बौंसी मेला पर प्रशासनिक रोक लगा दी गई है. बावजूद मंदार पापहरणी महाकुंभ में स्नान के लिए भारी संख्या में लोग सरकारी आदेशों के अनुकूल दूरी बनाकर श्रद्धा-भक्ति और धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करने में लगे हुए हैं. भगवान मधुसूदन की पूजा-अर्चना के साथ पापहरणी सरोवर मध्य अष्टकमल लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी काफी संख्या में लोगों ने पहुंचकर पूजा अर्चना की.
12 सौ फीट ऊंचे मंदार शिखर पर श्रद्धा और भक्ति का आरोहण जारी है. प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था के साथ नौकायान एसडीआरएफ टीम की तैनाती की गई है. निशुल्क चिकित्सा शिविर व्यवस्था के साथ अन्य सरकारी व्यवस्थाएं संचालित किए गए हैं. लेकिन बौसी मेला परिसर में वीरानी छाई हुई है. इस बार कृषि प्रदर्शनी के साथ पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित होने वाला मंदार महोत्सव का सालाना सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन नहीं किया गया. लोगों में भारी उदासी है.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट