अनिश की रिपोर्ट
सरकार शहीदों के सम्मान में तरह- तरह के दावे करती है लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं दिख रहा है जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ देश की सरहद की हिफाजत में अपनी जान की बलिदान देने वाले खगड़िया के मारड़ गाँव के लाल अमर शहीद जावेद की जिनकी आज शहादत दिवस है लेकिन सरकार के द्वारा एक साल बीत जाने के बाद भी कोई पुरस्कार तो दूर की बात है इनको इनका वाजिब हक भी दिलवा नहीं पायी है।इनकी सहादत होने के बाद से लेकर इनकी अंतिम यात्रा तक में न जाने कितने नेताओं ने तरह-तरह के दावे किये लेकिन आज इनकी हकीकत कैमरा के सामने है।बता दें की शहीद जावेद की शहादत जम्मू कश्मीर के पूंछ के शाहपुर और किरनी सेक्टर में पाक सेना से भारी गोलीबारी में हो गई थी।आज इनकी शहादत दिवस है।आज जहाँ इनके गाँव वाले शहीद जावेद अमर रहे के नारे लगा रहे हैं वहीं जावेद के पिता,पत्नी और भाई की सिसकियां आज भी कायम है।इनकी पत्नी मोबाइल के स्क्रीन पर अपने शौहर की तस्वीर आज लगाकर रखी है इस उम्मीद से की उनको और उनके बच्चे को न्याय मिलेगी।बता दें कि शहीद जावेद का जन्म माड़र गांव के ईदगाह मोहल्ले हुआ था।लेकिन शहीद होने पर गाँव के लोगों ने जगह का नाम शहीद जावेद नगर रख दिया। बता दें कि जावेद ने फरवरी 2010 में देश सेवा के लिये सेना को ज्वाइन किया था। वहीं शहीद की पत्नी ने रोते रोते सिर्फ इतना कहा कि सभी झूठे वादे करते हैं।बता दें कि खगडिय़ा के तत्कालीन डीएम अनिरुद्ध कुमार ने शहीद के परिजन को हर संभव सहायता प्रदान करने का भरोसा दिया था।लेकिन अभी तक सभी तरह के वादे धरातल पर कहीं नहीं दिख रही है।अगर नियम कानून की बात करें तो शहीद के पत्नी को कोई नौकरी और फैमिली पेंशन की सुविधा मिलनी चाहिए थी लेकिन जावेद की शहादत के एक साल हो गए लेकिन परिवार वाले सभी सुविधाओं से अब तक महरूम हैं।वहीं शहीद के परिवार वाले जिले के वर्तमान जिलाधिकारी एवं पुलिस कप्तान से न्याय दिलवाने की गुहार लगा रही है।क्योंकि जावेद हीं एक मात्र इनके परिवार कमाने वाला था जिसकी कमाई से सभी का भरणपोषण होता था। उनकी पत्नी जरूरी कागजात बनवाने के लिये मुंगेर से लेकर पटना के दफ्तर की खाक छान रही है।और सिस्टम से एक हीं सवाल कर रही है कि आखिर उनका गुनाह क्या है