रांची : रांची नगर निगम में मेयर और नगर आयुक्त के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं राज्य के कई नगर निगम में भी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच लगातार विवाद के मामले सामने आने लगे हैं. इसको देखते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग ने निकायों में जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों के कार्य क्षेत्रों और अधिकार पर महाधिवक्ता से मंतव्य मांगा था महाधिवक्ता की ओर से दिए गए मंतव्य पर रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने विरोध जताया है.
मेयर आशा लकड़ा ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता का मंतव्य उनका अपना विचार है. यह कोई कानून नहीं है, जिसका अनुपालन करने के लिए मैं बाध्य हूं. महाधिवक्ता ने झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 पर जो मंतव्य दिए हैं, वह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकार व लोकतंत्र की हत्या है. मेरे लिए झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 ही सर्वोपरि है.
वहीं समीक्षा के सवाल पर उन्होंने कहा कि समीक्षा करने और अधिकारियों को स्पष्टीकरण करने की तो यह मेरा संवैधानिक अधिकार है. नगर निकायों में मेयर को शो केस की शोभा बढ़ाने के लिए आम जनता ने नहीं चुना है. शहर की आम जनता ने मुझे उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चयनित किया है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है. यदि नगर आयुक्त को पत्राचार कर जवाब मांगना मेयर व नगर आयुक्त के बीच विवाद का कारण है तो मैं आने वाले समय में भी उनसे संबंधित विषयों पर जवाब मांगती रहूंगी.
झारखंड नगरपालिका अधिनियम के तहत मुझे रांची नगर निगम से संबंधित कार्यों की मॉनिटरिंग करने का अधिकार है. केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को समय पर पूरा कराने की मुझ पर भी जिम्मेदारी है. राज्य सरकार से आग्रह करती हूं कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत दिए गए अधिकारों को गलत तरीके से परिभाषित कर मेयर को दिए गए संवैधानिक अधिकारों का हनन करने का प्रयास न करें. नगरपालिका अधिनियम के तहत नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों को दिए गए संवैधानिक अधिकार का सम्मान करें.
गौरी रानी की रिपोर्ट