PATNA: भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद ने तेजस्वी यादव की दुर्भाग्यपूर्ण एवं मूर्खतापूर्ण टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को “मूर्ति” कहा गया था: “तेजस्वी ने द्रौपदी मूर्मू के अपमान के लिए माफी माँगे। तेजस्वी ने आदिवासी के साथ दलित- ओबीसी समाज का भी अपमान किया।”
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद ने तेजस्वी यादव द्वारा एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को “मूर्ति” कहकर अपमानित किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण एवं मूर्खतापूर्ण टिप्पणी करार दिया है।
निखिल आनंद ने कहा कि तेजस्वी गिरेबान में झाँके क्योंकि बिहार को कभी भी सीएम के रूप में एक पारिवारिक गृहिणी की आवश्यकता नहीं थी लेकिन हम सभी ने देखा है कि श्रीमती राबड़ी देवी जी ने राज्य सरकार को कितनी सफलतापूर्वक चलाया है। राबड़ी जी का हमसभी एक महिला के तौर पर सम्मान करते हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव का द्रौपदी मुर्मू जी को मूर्ति कहना वास्तव में बहुत मूर्खतापूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण है।
भारत की भावी राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मूर्मू जी जीवन में बड़े ही उथल-पुथल, पीड़ा और कष्ट का सामना करते हुए इस मुकाम पर पहुँची हैं। उन्होनें जीवन में अध्ययन, नौकरी और आजीविका कमाने के लिए कठिन संघर्ष किया है और बाद में बिना किसी पारिवारिक समर्थन के सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में अपने लिए जगह बनाई है। वह कभी भी पिता या पति द्वारा संरक्षण देकर राजनीति में एयरड्रॉप नहीं कर दी गई जिस प्रकार देशभर के परिवार आधारित राजनीतिक दलों ने अपने सुप्रीमो की पत्नी, बेटे और बेटी को लॉन्च किया है।
निखिल आनंद ने कहा कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी समाज के वंचित- शोषित वर्ग और नारी उत्थान की प्रतीक हैं। तेजस्वी यादव को भारत के भावी राष्ट्रपति पर अपनी मूर्खतापूर्ण और शर्मनाक टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। यह राजद की सतही, अनपढ़ और मध्ययुगीन मानसिकता को दर्शाता है।
निखिल आनंद ने आगे कहा कि हमारी आदरणीय राबड़ी चाची जी को राजद की राजमाता कहा जाता है, तो द्रौपदी मुर्मू जी भी अपने साहस, दृढ़ संकल्प और कठिन संघर्ष के लिए भारत माता की प्रतीक हैं। द्रौपदी मूर्मू जी का जीवन की चौतरफा बाधाओं को पारकर इस मुकाम तक पहुँचना उन्हें हमारे आदर्श के रूप में स्थापित करती है। तेजस्वी यादव द्वारा ना सिर्फ आदिवासी समुदाय बल्कि सभी दलित-ओबीसी समाज को भी अपमानित किया है जो भारत में शीर्ष मुकाम पर पहुँचने का सपना देख रहे हैं।
पटना से संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट