पटना : एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को लेकर दिनभर पुलिस महकमे में किरकिरी मची रही 83 बैच के आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार आज गर्दनीबाग के अनुसूचित जाति जनजाति थाने में एक एफआईआर कराने पहुंचे और वहां उन्हें 4 घंटे इंतजार करवाया गया और उसके बाद भी उनका एफआईआर नहीं लिया गया उनसे आवेदन ले लिया गया और उन्हें एक रिसीविंग थमा दी गई.
जिसके बाद उन्होंने मीडिया के सामने आकर कई बातों का खुलासा किया और उसके बाद पुलिस ने भी कहा कि उनकी आवेदन ले ली गई है और आवेदन के अनुरूप विधि सम्मत कार्रवाई होगी. जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में भी काफी गर्मी आ गई विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी आईएएस अधिकारी का खुले रुप से समर्थन किया. उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा कि बिहार में तानाशाह चल रहा एक सीनियर आईएएस अफसर का एफआईआर नहीं लिया गया.
एक मुख्य सचिव रैंक का अधिकारी जो साक्ष्य के साथ थाने में एफ आई आर दर्ज करने जाता है मगर उसका एफ आई आर दर्ज नहीं किया जाता चुनाव के समय में नेता विरोधी दल पर फायर होता है. हत्या का फायर होता है नेता विरोधी दल पर लेकिन मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों पर एफआईआर क्यों नहीं हो रहा दस्तावेज के साथ मुख्य सचिव रैंक के अधिकारी थाने पहुंचते हैं लेकिन उनका असर नहीं होता मुख्यमंत्री इस पूरे मामले को दबाने में क्यों लगे हैं. यह सवाल उन्होंने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से पूछा वही तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार हमेशा सुशासन की दुहाई देते हैं मगर जब उनके अधिकारियों पर और उन पर आरोप लगता है तो थाने में उनके खिलाफ f.i.r. नहीं लिया जाता है.
बिहार सरकार पर हाईकोर्ट ने भी बड़ी टिप्पणी की हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को माइंड लेस गवर्मेंट बताया वहीं उन्होंने कहा कि सुधीर कुमार के आरोप पर मुख्यमंत्री को सामने आकर अपना बयान देना चाहिए सुधीर कुमार के आरोप में क्या सच्चाई है इस को लेकर मुख्यमंत्री को सामने आना चाहिए कानून के सामने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सब बराबर है मुख्यमंत्री क्यों छुपे हुए हैं क्यों f.i.r. नहीं होने दे रहे सुधीर कुमार वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर को क्यों 5 से 6 घंटे थाने में बिठाया जाता है क्योंकि वह बिहार के आईएस हैं और भाजपा के नेता और मुख्यमंत्री के अधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं इस मामले में साफ दिख रहा है कि दाल में कुछ काला है मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पर ऐसा क्यों नहीं हो सकता है.
बिहार में तानाशाह चल रहा है भ्रष्ट लोगों को बिहार चलाने की जिम्मेदारी दी गई है ईमानदार लोगों को डराने धमकाने का काम इस सरकार में हो रहा है नीतीश कुमार के शासनकाल में ईमानदार लोगों को डराने धमकाने का काम हो रहा है मुख्यमंत्री अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों से नीतीश कुमार को क्या प्रेम है मुझे समझ नहीं आता मुख्यमंत्री की ना नैतिकता बची है ना अंतरात्मा मुख्यमंत्री पर पहले से ही हत्या का आरोप लगा हुआ एक दलित अधिकारी एससी एसटी थाने में केस कर रहा है.
उसकी सुरक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए सुधीर कुमार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं और वो एफ आई आर दर्ज कराने जा रहे हैं तुम मुख्यमंत्री और डीजीपी का यह दायित्व बनता है कि वह कानून का निर्वहन करें और एफ आई आर दर्ज किया जाए उन्होंने मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री की जरूर भूमिका होगी जिस कारण से 10th वालों को मुख्यमंत्री आवास पर ले जाया जा रहा है अगर मुख्यमंत्री इमानदार होंगे तो मेरी और जनता के सामने अपनी बातों को रखेंगे अपना स्पष्टीकरण देंगे क्योंकि यह मुख्यमंत्री पद की गरिमा का सवाल है.