रांची : झारखंड की चर्चित निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में बीते दिनों अरेस्ट किया था. गिरफ्तारी के बाद ईडी ने उन्हें पांच दिन की रिमांड पर लिया था. आईएएस पूजा सिंघल और सीए सुमन कुमार की रिमांड अब चार दिन के लिए बढ़ा दी गई है. ईडी ने पूजा सिंघल को नौ दिन की रिमांड पर लेने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने महज चार दिन की रिमांड दी, वहीं सीए सुमन कुमार को पांच दिन की रिमांड पर लेने की मांग की गई थी, लेकिन सुमन को भी विशेष पीएमएलए कोर्ट ने चार दिन की रिमांड दी है.
जानकारी के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की गिरफ्त में आईं आईएएस पूजा सिंघल और उनके सीए सुमन कुमार की रिमांड स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने चार दिन और बढ़ा दी है. अब दोनों की पेशी 20 मई को होगी. बुध पूर्णिमा पर अवकाश के कारण निलंबित आईएएस पूजा सिंघल और चार्टर्ड एकाउंटेंट सुमन कुमार सिंह को सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय के विशेष न्यायालय की बजाय जज कॉलोनी स्थित स्पेशल पीएमएलए कोर्ट के जज पीके शर्मा के समक्ष पेश किया गया. ईडी की अदालत ने दोनों को चार चार दिनों के रिमांड पर भेजा दिया है.
ईडी के एसपीएल पीपी बीएमपी सिंह ने बताया की ईडी की टीम डिजिटल डिवाइस से पूजा सिंघल से जुड़े डेटा को खंगाल रही है. कई ऐसी जानकारियां सामने आई हैं, जिसमें फिलहाल ईडी पूछताछ करेगी. 20 मई को फिर से जज प्रभात कुमार शर्मा के सामने पेश किया जाएगा. डिफेंस कौंसिल विनय प्रताप ने बताया कि उन लोगों ने रिमांड बढ़ाए जाने का विरोध किया था और कहा था कि रिमांड अवधि बढ़ाए जाने की जरूरत नहीं है. हालांकि पीएमएलए कोर्ट ने उसको कंसीडर नहीं किया. आईएएस पूजा सिंघल के लिए नौ दिन की रिमांड मांगी गई थी और सीए सुमन सिंह के लिए पांच दिनों के लिए रिमांड मांगी गई था. इसमें चार दिनों के लिए रिमांड की अवधि बढ़ाई गई है. वकील की ओर से तर्क दिया गया है कि बहुत से ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब नहीं मिल पाया है.
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल डिवाइस से जो डेटा रिट्रिट किया गया है, उसे सेंट्रल फोरेंसिक लैबोरेट्री भेज दिया गया था. वहां से जो वर्किंग कॉपी मिली है, उसके आधार पर कुछ नए किरदार के इस मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने की आशंका है. उसी आधार पर रवि केजरीवाल और तीन डीएमओ को समन जारी किया गया है. उनसे कंफर्म करवाने की जरूरत पड़ेगी.
विनय प्रताप ने कहा कि लार्जर एंड टार्गेटेड कांस्पीरेसी है. लिहाजा जांच और पूछताछ की और जरूरत है. इसमें और कौन लोग शामिल हैं. इन्कम के सोर्स कहां से आए, कैसे जमा किए गए, ये पूछताछ अभी बाकी है. कैश जो रिकवर किया गया था, उसका हिसाब अभी भी नहीं मिला है. पल्स हॉस्पिटल के स्थापना और जमीन खरीदी से लेकर अब तक जो खर्चे हुए, उसके हिसाब किताब को लेकर पूछताछ अभी बाकी है. 24 करोड़ लोन लेकर अस्पताल शुरू किया गया था. जमीन खरीदने के लिए तीन करोड़ दिए जाने की बात है. इक्विपमेंट खरीदी से लेकर ऑपरेशन में लगे पैसों को ट्रैक किया जाना अभी बाकी है.
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गौरी रानी की रिपोर्ट