नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियां को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब लड़कियां भी एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में हिस्सा ले सकती हैं. बता दें सुप्रीम कोर्ट ने एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में लड़कियों की पढ़ाई को मंजूरी दे दी है. पांच सितंबर को एनडीए की प्रवेश परीक्षा होनी है. एनडीए में दाखिले पर फैसला बाद में होगा लेकिन कोर्ट ने आज परीक्षा में शामिल होने पर सहमति जता दी दी है. लड़कियों को अब तक अनुमति नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में शामिल होने की नहीं थी.
वकील कुश कालरा याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि महिलाओं को ग्रेजुएशन के बाद ही सेना में आने की अनुमति है. उनके लिए न्यूनतम आयु भी 21 साल रखी गई है. जबकि लड़कों को 12वीं के बाद ही एनडीए में शामिल होने दिया जाता है.
इस तरह शुरुआत में ही महिलाओं के पुरुषों की तुलना में बेहतर पद पर पहुंचने की संभावना कम हो जाती है. यह समानता के अधिकार का हनन है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा था. मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने की.
दरअसल, याचिका में लिखा गया था कि सेना में युवा अधिकारियों की नियुक्ति करने वाले नेशनल डिफेंस एकेडमी और नेवल एकेडमी में सिर्फ लड़कों को ही दाखिला मिलता है. ऐसा करना उन योग्य लड़कियों के मौलिक अधिकारों का हनन है, जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहती हैं.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल आए उस फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए कहा गया था. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि जिस तरह कोर्ट ने सेवारत महिला सैन्य अधिकारियों को पुरुषों से बराबरी का अधिकार दिया, वैसा ही उन लड़कियों को भी दिया जाए जो सेना में शामिल होने की इच्छा रखती हैं.
वहीं याचिका में बताया गया था कि लड़कों को नेशनल डिफेंस एकेडमी और नेवल एकेडमी में 12वीं कक्षा के बाद शामिल होने दिया जाता है. लेकिन लड़कियों के लिए सेना में शामिल होने के जो अलग-अलग विकल्प हैं, उनकी शुरुआत ही 19 साल से लेकर 21 साल तक से होती है. उनके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी ग्रेजुएशन रखी गई है.
ऐसे में जब तक लड़कियां सेना की सेवा में जाती हैं, तब तक 17-18 साल की उम्र में सेना में शामिल हो चुके लड़के स्थायी कमीशन पाए अधिकारी बन चुके होते हैं. इस भेदभाव को दूर किया जाना चाहिए.