पटना : बिहार के पूर्व सीएम व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने एक विवादास्पद बयान दिया है. जिसमें उन्होंने श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया और उन्हें काल्पनिक करार दे दिया. जिसके बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया है. वहीं राजद के कद्दावर नेता और पूर्व विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने मांझी के बयान पर समर्थन देते हुए कहा कि सरकार के पास रोजी-रोटी का सवाल नहीं है, बेरोजगारी का सवाल नहीं है, चिकित्सा दूर करने का सवाल नहीं है, गरीब लोगों के घर और भोजन की व्यवस्था करने का सवाल नहीं है. इस तरह के फालतू-फालतू विषय चुनते रहते हैं जिससे लोगों के दिमाग को भरमाया जा सके. वहीं आगे उन्होंने कहा कि किसी ने श्रीराम को देखा है क्या, काल्पनिक नहीं है तो क्या है….पृथ्वी पर रहने वाला आदमी सूर्य को कैसे निगल सकता है, ये सब काल्पनिक नहीं तो और क्या है.
दरअसल, जीतनराम मांझी ने कहा कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष व्यक्ति थे, ऐसा मैं नहीं मानता. पर रामायण कहानी में जो बातें बताई गई है वो सीखने वाली है. रामायण कथा में कई श्लोक और संदेश ऐसे हैं जो लोगो को बेहतर व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक हैं. मांझी ने आगे कहा कि महिलाओं का सम्मान की बात हो या फिर बड़ों के लिए आदर की बात हो, रामायण शिक्षा देती है. रामायण में शामिल बातों को सिलेबस में शामिल करना चाहिए ताकि लोग इससे शिक्षा ले सकें और अच्छी बातें सीख सकें.
गौरतलब है कि हाल ही में मध्य प्रदेश में रामायण को सिलेबस में शामिल करने के फैसले के बाद बिहार में भी सिलेबस में शामिल करने की मांग उठी है. वहीं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने सिलेबस में रामायण को शामिल करने की बात करते हुआ कहा कि रामायण हमें सदियों से सही राह दिखाती आई है. हम इतिहास पढ़ते हैं तो रामायण भी पढ़नी चाहिए. इतिहास के साथ हर वो विषय लोगों को पढ़नी चाहिए जो लोगों को बेहतर संदेश देती है. जिसके बाद एनडीए के कई नेताओं ने बयान बाजी जारी कर दिए हैं. वहीं जीतनराम मांझी के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है.
संजय कुमार की रिपोर्ट