नाश्ता, सफाई, बर्तन, तैयार होना, मीटिंग, मेल, टार्गेट, बच्चे की क्लासेस, लंच बनाना, बर्तन, फ़ोन, मेल, मीटिंग, टार्गेट, बच्चे का होमवर्क, रात का खाना, कल की मीटिंग….
देश में लॉक डाउन के दौरान मौजूदा हालात में ये महिलाओं के दिमाग़ से निकाली गई कामों की एक फेहरिस्त है. वो महिलाएं जो आजकल घर से ऑफ़िस का काम कर रही हैं. रुकिए… रुकिए…, सिर्फ़ ऑफ़िस का ही नहीं बल्कि घर और ऑफ़िस दोनों का काम कर रही हैं.
सुबह उठते ही महिलाओं के दिमाग़ में घंटी बजनी शुरु होती है. घड़ी की सूई तेज रफ्तार से बढ़ती है और उससे भी ज्यादा रफ्तार होती है उन महिलाओं की जिनके कंधों पर काम का बोझ होता है. अचानक दिमाग में ढेर सारे कामों की लिस्ट बन जाती है और वो इधर-उधर दौड़कर रोबोट की तरह झटपट काम निपटाने लगती हैं.
इस लिस्ट में आपको घर और ऑफ़िस के काम से जुड़े तमाम शब्द तो मिल जाएंगे लेकिन चैन और आराम जैसे शब्द ढूंढे भी नहीं मिलेंगे. कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से कई लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. महिलाएं भी इस दौरान घर से ऑफ़िस का काम कर रही हैं. लेकिन, उनका रूटीन पूरी तरह बदल गया है. या यूं कहे कि इस रूटीन ने उनकी जिंदगी ही बदल दी है.
वो घर और ऑफ़िस का दुगना बोझ उठा रही हैं. मेड ना आने से कोई मदद भी नहीं मिल पाती. दोनों ज़िम्मेदारियों से महिलाएं कैसे जूझ रही हैं वो आप इस रूटीन से समझ सकते हैं.

रंजना प्रियदर्शी, एचआर मैनेजर
दिन शुरू- सबह 5 बजे
दिन खत्म- रात 11 बजे
रंजना कहती हैं कि “इस वक्त दो ड्यूटी एक साथ कर रही हूं. ऑफिस के काम से थोड़ा ब्रेक मिलता है तो घर के काम में जुट जाती हूं. घर का काम ख़त्म होता है तो फिर ऑफिस के काम में लगना पड़ता हैं. ऐसे ही पूरा वक्त निकल जाता है. सुबह से रात कब होती है कुछ पता ही नहीं चलता. खुद के लिए फुर्सत का एक पल भी नहीं निकाल पाती”
रंजना बेंगलुरु में अपने पति और बेटे के साथ रहती हैं. इनकी समस्या यह है कि दिन के 24 घंटे भी इन्हें अब कम लग रहे हैं. रजंना का कहना है कि दिन की शुरुआत होने से लेकर रात के बिस्तर पर आने तक आराम का एक लम्हा भी इन्हें नसीब नहीं होता. घर का काम, पति और बच्चे की देखभाल, बेटे की पढ़ाई के साथ-साथ ऑफिस का काम समय में करना एक बड़ी चुनौती है. इसी बीच परिवार, रिश्तेदार और दोस्तों का फोन आने पर उन्हें भी वक्त देना जरुरी होता है. रंजना के पास हर किसी के लिए वक्त है सिवाय खुद के.

शालिनी जोशी, मैनेजर एचएसबीसी बैंक
दिन शुरू – सबुह 6 बजे
दिन ख़त्म – रात 12 बजे
शालिनी कहती हैं कि “मैं काम के बीच में जो ब्रेक लेती हूं वो ब्रेक नहीं होता क्योंकि उसमें मुझे घर के काम करने होते हैं. अपने लिए कोई समय ही नहीं मिलता. ये सब मुझे बहुत थका देता है.”
ये हाल लगभग सभी कामकाजी महिलाओं का है. वो घरेलू ज़िम्मेदारियों और ऑफ़िस की उम्मीदों के बीच बने हालात से निपट रही हैं.
शालिनी अपनी 11 साल की बेटी, पति और सास-ससुर के साथ रहती हैं. उनके ससुर बीमार हैं और उन्हें डायबिटीज भी है. ऐसे में शालिनी सबके लिए तो खाना बनाती ही हैं साथ में अपने ससुर को हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाने के लिए देती हैं ताकि उनका शुगर लेवल कम ना हो जाए. लेकिन, जब खुद उनके खाने की बात हो तो… शालिनी ने बताया, “खाना तो खा लेती हूं लेकिन वो खाने की तरह नहीं होता. काम के साथ-साथ ही मुझे खाना पड़ता है. ऑफिस में कम से कम आधा-एक घंटा तो अलग से लंच के लिए मिल ही जाता था लेकिन घर पर ऐसा भी नहीं होता. इसलिए मैं अपने लिए आसान खाना बनाती हूं. जैसे पीनट बटर लगाकर ब्रैड खा लिया, दलिया या सूप बना लिया. इसे मैं मीटिंग करते-करते खाती रहती हूं.”

शर्मिला, सेल्स सपोर्ट एंड कस्टमर सर्विस मैनेजर
दिन शुरू – सबुह 5 बजे
दिन ख़त्म – रात 11 बजे
शर्मिला का कहना है कि “मुझे नहाने से लेकर नाश्ता बनाने के लिए बस आधा घंटा मिलता है. मैं ठीक से नहा भी नहीं पाती. इस बीच लैपटॉप भी चला रही होती हूं ताकिमीटिंग तक ब्लूटुथ से कनेक्ट हो जाऊं.उसके बाद मेरा ऑफ़िस शुरू हो जाता है और तब तक जान ही निकल जाती है. नौ बजे जब लैपटॉप के सामने बैठती हूं तो लगता है कि आधे घंटे के लिए सो जाऊं. लेकिन, तभी आपको मीटिंग में फ्रेश और एनर्जेटिक भी लगना होता है.”
बच्चों की जिम्मेदारी
आजकल स्कूल बंद हैं तो सभी बच्चे घर पर हैं. वहीं, पढ़ाई रुकने के कारण स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस देना शुरू कर दिया है. अब महिलाओं पर काम के बीच में बच्चों की जिम्मेदारी भी आ जाती है.
पूजा की पांच साल की बेटी की भी ऑनलाइन क्लास चल रही है. स्कूल से कौन-सा वीडियो आया, क्या होमवर्क मिला सब उन्हें देखना पड़ता है
पूजा कहती हैं, “बेटी के स्कूल से वीडियो आते हैं और होमवर्क मिलता है. घर और ऑफिस के काम के बीच में उसका भी ध्यान रखना पड़ता है. बच्चों की पढ़ाई नहीं छूटनी चाहिए.”
वहीं, करुणा गुप्ता तो ऑनलाइन क्लास दे भी रही हैं और अपने बेटे को क्लास दिलवा भी रही हैं. वह कहती हैं, “बेटे को भी दिन भर व्यस्त रखना होता है. अगर उसे छोड़ दूंगी तो वो छुट्टी समझकर खेलता रहेगा.”
ऑफ़िस का बढ़ता काम
वर्क फ्रॉम होम का ट्रेंड पहले भी रहा है लेकिन इतने लंबे समय तक होना, ऐसा पहली बार है. इससे लोगों के सामने कई तरह की चुनौतियां आ रही हैं.
महिलाएं बताती हैं कि जैसे पहले ऑफ़िस का काम सिर्फ़ ऑफ़िस तक रहता था अब वो दिनभर चलता रहता है. ऑफिस वालों को लगता है कि दिनभर घर पर हैं तो काम करने में क्या दिक्कत है.
मानसिक समस्याओं की ओर बढ़तीं महिलाएं
मनोवैज्ञानिक पूजा शिवम कहती हैं कि लॉक डाउन के इन स्थितियों का प्रभाव तो हर किसी पर पड़ रहा है लेकिन महिलाओं के लिए परेशानी और ज़्यादा है.
वह कहती हैं, “हमारे समाज में महिलाओं के लिए एक ऐसी सामाजिक भूमिका है जिसमें सभी घरेलू ज़िम्मेदारियां उसे भी निभानी है. भले ही वो नौकरीपेशा हो या नहीं. अब वो दोनों काम कर रही हैं तो काम खिंचता चला जाता है. इससे उन पर शारीरिक और मानसिक दबाव लगातार बढ़ रहा है.”
“साथ ही वो एक तरह के अपराधबोध से भी गुजर रही हैं. अगर घर के काम में कोई कमी छूट गई तो उन्हें लगता है कि उनमें ही कोई कमी है. ये पूरे तनाव और दबाव की स्थिति उनमें चिड़चिड़ापन, असंतुष्टी, झुंझलाहट, बैचेनी, थकान और वज़न गिरने जैसी समस्याएं ला सकती है.”
डॉक्टर पूजा शिवम का कहना है कि ये हल्के मानसिक तनाव के लक्षण हैं. महिलाओं को इन पर ध्यान देना होगा. अगर वो ऐसा महसूस करती हैं तो उन्हें अपना रूटीन ठीक करने की तुरंत ज़रूरत है वरना स्थितियां और ख़राब हो सकती हैं. बेहतर है ऐसे हालात में ऑफिस के काम से छुट्टी लेकर थोड़ा आराम करें.

कैसे रखें अपना ध्यान
मनोवैज्ञानिक किरण सिंह कहती हैं कि ये पूरा माहौल महिलाओं की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है. शरीर और दिमाग बहुत ज़्यादा समय तक इतना दबाव नहीं झेल सकते. ऐसे में महिलाएं अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए इन बातों का ध्यान रख सकती हैं-
सबसे पहले ये सोचें कि क्या आप ऐसा कुछ कर रही हैं जिससे तनाव और दबाव बढ़ा रहा है. सबका ध्यान रखते हुए अपनी ही अनदेखी तो नहीं कर रहीं.
इस धारणा से निकलें कि हर काम आपको ही करना है. ये तय करना पड़ेगा कि क्या कर सकते हैं और क्या करना चाहिए. अगर आप कोई काम नहीं कर सकतीं तो उसे जबरदस्ती ना करें.
आप सभी को खुश नहीं रख सकतीं. परफेक्ट या सुपरवुमन बनने की कोशिश ना करें.
अपने लिए वक़्त निकालें और आराम करें. पौष्टिक खाना, सोने पर, एक्सरसाइज पर ध्यान दें क्योंकि इस वक़्त किसी भी इनफेक्शन से बचने के लिए स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है. इसके अलावा करीबी लोगों से फोन पर बात करें जिनसे बात कर आपका तनाव थोड़ा कम हो सके.