पटना : इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IGIMS) के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने मोटापे से परेशान एक मरीज को नई जिंदगी दी है. आईजीआईएमएस में पहली बार गैस्ट्रो-सर्जरी विभाग में बेरियाट्रिक सर्जरी किया गया. सीतामढ़ी निवासी 51 वर्षीय एके सिंह का वजन लगातार बढ़ने से 115 किलो हो गया था. मोटापे की वजह से वह हर्निया, स्लीप एपनिया सिंड्रोम और हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल की समस्या से ग्रसित हो गए थे.

जांच के बाद गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के डॉ. साकेत ने लेप्रोस्कोपिक स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी (बेरियाट्रिक सर्जरी) प्लान की. इस सर्जरी के तहत मरीज के पेट की आकार को कम किया गया जिससे उसको भूख कम लगेगी और मोटापा को बढ़ाने वाले हॉरमोन्स पर भी नियंत्रण हो सकेगा. डॉ. साकेत ने बताया कि 15 दिसंबर को यह ऑपरेशन तीन घंटे में पूरा किया गया. साथ ही दूरबीन विधि से हर्निया की सर्जरी भी कर दी गई. ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह ठीक है और चौथे दिन उनकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई. निश्चेतना विभाग के डॉ. संजीव और डॉ. स्वाति ने ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई.
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया की अभी तक बिहार में बरिएट्रिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इस सर्जरी के लिए मरीजों को दिल्ली, इंदौर या अहमदाबाद जाना पड़ता था. जहां प्राइवेट हॉस्पिटलों में इस सर्जरी की खर्च तीन-चार लाख रुपए आता है. वहीं आईजीआईएमएस में यह ऑपरेशन महज 50-60 हज़ार के खर्च में संभव है. अब यह ऑपरेशन मोटापे से ग्रसित मरीजों के लिए संसथान में निरंतर उपलब्ध रहेगा. आईजीआईएमएस में सफल बरिएट्रिक सर्जरी के लिए संसथान के निर्देशक डॉ. एनआर बिस्वास ने पूरे टीम को बधाई दी है.
टीम में डॉ. संजय कुमार, डॉ. सौरभ सिंगला, डॉ. निशांत कुरियन, सिस्टर मधु और डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि भारत में मोटापे की समस्या बहुत तेजी से पाव फैला रही है. हमारे देश में हर पांच व्यक्ति में से एक मोटापे से ग्रसित है. खास कर 25-40 वर्ष के लोगों में मोटापा बहुत आम हो गया है. मोटापा कई अन्य गंभीर बीमारियों जैसे की हार्ट अटैक, मधुमेह, फैटी लिवर, कैंसर और स्ट्रोक की वजह हो सकता हैं.

बैरिएट्रिक सर्जरी वजन कम करने का एक ऑपरेशन है. मोटापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों में यह सर्जरी काफी कारगर है. वैसे तो बैरिएट्रिक सर्जरी कई तरह के हैं, लेकिन सर्जन सामान्य तौर पर तीन का उपयोग करते हैं – रॉक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास, वर्टिकल स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी और लैप्रोस्कोपिक एडजेस्टेबल गैस्ट्रिक बैंडिंग. सर्जरी से पेट की संरचना में परिवर्तन लाया जाता है, जिसमें पेट और पाचनतंत्र भी शामिल रहता है. इस सर्जरी के बाद भूख कम लगने लगती है जिससे लोग भोजन का कम मात्रा में उपयोग करते हैं, जिससे वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है. ऐसे में संतुलित जीवन, पोषक तत्वों का सेवन और व्यायाम इलाज़ को सफल बनती है. यह सर्जरी दूरबीन विधि से की जाती है जिसमे पेट पर कोई बड़ा चीरा नहीं पड़ता है. मरीज़ ऑपरेशन के एक दिन बाद खाने-पीने लगता है और तीसरे दिन अस्पताल से छुट्टी हो जाती है.
डॉ. मंडल ने आगे बताया कि बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद, जीवनशैली में बदलाव लाना बहुत जरूरी हो जाता है. इसमें स्वास्थ्यवर्धक भोजन का सेवन किया जाना चाहिए और एक संतुलित जीवनशैली अपनाई जानी चाहिए. वैसे और कोई खास सावधानी बरतने की जरूरत नहीं है, लेकिन बस एक बात दिमाग में रखने की जरूरत है और वह है व्यायाम व स्वास्थ्यवर्धक जीवन-यापन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना.