उत्तर बिहार में नदियां लगातार तबाही मचा रही हैं। बाढ़-कटाव का खतरा घटने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार देर रात मुजफ्फरपुर के अहियापुर में बूढ़ी गंडक का रिंग बांध टूटने के बाद मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी एनएच 77 पर पानी का दबाव काफी बढ़ गया है। एनएच में कटाव से मेडिकल कॉलेज (एसकेएमसीएच) पर खतरा मंडरा रहा है।
बुधवार को दिन भर बढ़ते जलस्तर को देख आसपास के दर्जन भर रिहयाशी मोहल्लों में अफरातफरी मची रही। बाढ़ का पानी सड़क से करीब एक फीट नीचे रह गया है। स्थानीय लोगों ने बांस बल्ली लगाकर इस एनएच पर आवाजाही बंद कर दी है। एसकेएमसीएच में पानी घुसा तो स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ सकती हैं। जिले के 13 प्रखंडों में बाढ़ तबाही मचा रहा है। सैकड़ों लोगों ने बांध व सड़क पर शरण ले रखी है। उधर, दरभंगा के बिरौल में जमींदारी बांध टूटने से पांच पंचायतों में बाढ़ का पानी फैल गया है। एकमीघाट-सिरनियां बांध, खराजपुर स्थित बिजैया बांध में रिसाव होने से आसपास के इलाके में अफरातफरी मची हुई है।
स्थिति सामान्य नहीं होने के कारण दरभंगा रेलखंड पर छठे दिन भी परिचालन ठप रहा। उधर, पूर्वी चंपारण के मोतिहारी नगर पंचायत में बाढ़ का पानी घुस गया है। इससे कुल 11 वार्ड प्रभावित हो गए हैं। नगर पंचायत के थाना चौक से बथना जाने वाली सड़क पर तीन फीट पानी बह रहा है। इस जिले में कुल 15 प्रखंड बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। वहीं पश्चिम चंपारण में बाढ़ का पानी अब घटने लगा है।
वाल्मीकिनगर, ठकराहां, भितहा, बैरिया व नौतन के दियारावर्ती गांव में बाढ़ का पानी घटने से हजारों परिवारों ने थोड़ी राहत की सांस ली है। सिकरहना व गंडक समेत तमाम नदियों के जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि रुक-रुक कर हो रही बारिश से जिलेवासियों की चिंता बढ़ी हुई है। इस बीच 2.25 लाख क्यूसेक पानी वाल्मीकिनगर बराज से गंडक में छोड़ा गया। इधर, सीतामढ़ी में बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है। बागमती डुब्बाधार व कटौंझा में खतरे के निशान से ऊपर है तो जिले में अधवारा समूह की नदियों के जलस्तर में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।