लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से दो-दो हाथ करते हुए शहीद होने वाले झारखंड के साहिबगंज के कुंदन ओझा अपने दोस्तों में काफी लोकप्रिय थे. 5 महीने पहले जब वे अपने घर आए थे तो दोस्तों से यह वादा करके गए थे कि शीघ्र ही फिर मिलेंगे. लेकिन वादा निभाने से पहले ही कुंदन दुश्मनों से लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए. इतना ही वे अपने 17 दिन की बेटी को भी अपनी आंखों से नहीं देख पाए. कुंदन गलवान में तैनात थे. रविवार को उनकी ड्यूटी गलवान घाटी में उसी जगह पर थी जहां चीनी सैनिकों से भारतीय सैनिकों की झड़प हुई. 26 साल के कुंदन कुमार ओझा साहिबगंज जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के डिहारी गांव के रहने वाले हैं. उनके दो भाई और एक बहन है. कुंदन ओझा की शादी दो साल पहले सुल्तानगंज में हुई थी. कुछ दिन पहले ही उन्हें बेटी हुई थी. कुंदन जल्द ही अपनी दूधमुंही बेटी से मिलने के लिए घर आने वाले थे. लेकिन यहां कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. रविवार को कुंदन की ड्यूटी लद्दाख के गलवान घाटी में थी. यहां वे चीनी धोखेबाजी का शिकार हो गए. ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार 7 साल पहले उनकी बहाली आर्मी में हुई थी.
