रांची : चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर शुक्रवार को रांची हाईकोर्ट ने सुनवाई छह हफ्ते तक के लिए टाल दी. इसके बाद लालू छह हफ्ते और जेल में ही रहेंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि लालू प्रसाद यादव अभी तक पूरी की जा चुकी सजा की अवधि के संबंध में कागजात जमा नहीं कर सके हैं. जमानता याचिका टलने पर लालू यादव ने फेसबुक पर पोस्टर कहानी सुनाई है. इसमें बिना नाम लिए उन्होंने केंद्र सरकार व नीतीश कुमार पर तंज कसा है. अंत में लिखा है, ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और इसका आज की हालात और हालिया किसी भी घटना से कोई संबंध नहीं है.

आखिर कैसे जागरूक नागरिकों की पहचान की जाए…
लालू ने फेसबुक पर लिखा, एक बार एक राजा को ये जानने की दिलचस्पी हुई कि उसकी प्रजा में कौन लोग एक जागरूक और सजग नागरिक हैं और कौन नहीं. उसने अपने सलाहकारों से मंत्रणा की कि आखिर कैसे जागरूक नागरिकों की पहचान की जाए. किसी ने सलाह दी कि आप पूरी प्रजा पर एक रुपए का टैक्स लगा दीजिए और ए टैक्स जमा करना सबके लिए जरूरी कर दीजिए. राजा को ए सलाह अच्छी लगी. राजा ने आदेश जारी कर दिया कि अमुक तिथि तक सभी लोग एक रुपए का टैक्स राजकोष में जमा करें. राजा सोच में था कि कितने लोगों को इस आदेश के बारे में पता चल पाएगा? आखिर कितने लोग इतने जागरूक हैं कि राजा द्वारा लिए गए फैसलों और आदेशों की जानकारी रख सके और उसका पालन कर सकें.
राजा ने सोचा कि शायद ये टैक्स बहुत कम है…
राजा को ये भी उम्मीद थी कि जो सबसे जागरूक और सजग होंगे उन्हें न सिर्फ इस आदेश के बारे में पता चलेगा, बल्कि वो हमारे पास फरियाद लेकर भी आएंगे. इस टैक्स को हटाने का उनसे अनुरोध करेंगे. एक दिन बीता. दो दिन बीत गए. तीसरा दिन भी बीत गया. टैक्स तो बहुत लोगों ने भरा, मगर राजा के पास उस टैक्स के विरोध में फरियाद लेकर कोई नहीं आया. राजा ने सोचा कि शायद ये टैक्स बहुत कम है. लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. सब लोग आसानी से ये टैक्स दे पा रहे हैं. फिर राजा ने टैक्स बढ़ा कर दो रुपए कर दिए. मगर, फिर भी लोगों का टैक्स देना बदस्तूर जारी रहा. विरोध का कहीं भी कोई सुर नहीं. कोई फरियाद लेकर नहीं आया राजा के पास. लोगों का टैक्स देना जारी रहा.

कोड़े मारने के लिए सिपाहियों को तैनात किया…
राजा ने टैक्स बढ़ाकर तीन रुपए, फिर तीन से चार और चार से पांच रुपए कर दिया. मगर फिर भी लोगों का राजकोष में टैक्स देना जारी रहा. हारकर राजा ने फैसला किया कि सभी प्रजा को न सिर्फ पांच रुपए टैक्स देने होंगे, बल्कि टैक्स जमा करने के बाद उन्हें दो कोड़े भी खाने होंगे. कोड़े मारने के लिए सिपाहियों को तैनात किया गया.
राजा ने पूछा, बोलो क्या शिकायत है तुम्हारी?
लोग टैक्स जमा करते थे, दो कोड़े खाते थे और अपने घर जाते थे. राजा इंतजार कर रहा था कि अब लोग उनके पास आएंगे. उनसे फरियाद करेंगे कि महाराजा, प्रजा कराह रही है. ये टैक्स और साथ में ये दो कोड़े खाने का नियम हटाइए. और सच में कुछ लोग राजा के दरबार में पहुंच गए अपनी फरियाद लेकर. राजा ने पूछा, बोलो क्या शिकायत है तुम्हारी?
उन लोगों ने कहा कि महाराज, हमें बहुत परेशानी हो रही है टैक्स देने और कोड़े खाने में. आपने कोड़े मारने के लिए बहुत कम सिपाहियों को नियुक्त किया है और इस वजह से लाइन बहुत लंबी हो जाती है. हम आपके पास ये फरियाद लेकर आए हैं कि आप कोड़े मारने के लिए ज्यादा सिपाहियों को नियुक्त कीजिए ताकि लाइन लंबी न लगे और प्रजा को टैक्स जमा करने और कोड़े खाने में कोई परेशानी न ही. अपनी पोस्ट के अंत में लालू यादव ने लिखा, ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और इसका आज की हालात और हालिया किसी भी घटना से कोई संबंध नहीं है.