द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि संविधान के खंड-3 के अंतर्गत धारा 15 (4) और (5) के तहत आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों का मौलिक अधिकार है. भाजपा के रहते कोई ताकत इस अधिकार से इन वर्गों को वंचित नहीं कर सकती है. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान संशोधन कर प्रोन्नति में आरक्षण दिया तो नरेंद्र मोदी की सरकार ने दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में 23 नई धराएं जोड़ कर उसे और कठोर बनाया तथा जब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ धाराओं को शिथिल किया तो कानून में संशोधन कर उसे पुनस्र्थापित किया.
उन्होंने देश की संवैधानिक संस्थाओं से भी अपील है कि वे आरक्षण से जुड़े अत्यंत संवेदनशील मुद्दों पर काफी सावधानी बरतें क्योंकि यह लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा मामला है. मोदी ने कहा कि अजा, अजजा को मिला आरक्षण बाबा साहेब अम्बेदकर और महात्मा गांधी की देन है. दलितों-पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के लिए ही 1932 में महात्मा गांधी को अंग्रेजों के खिलाफ 5 दिन तक यरवादा जेल में आमरण अनशन करना पड़ा था जिसके बाद पूणे समझौते के तौर पर आरक्षण का प्रावधान किया गया. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अजा और अजजा को प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए संविधान में 77 वां, 81वां और 82 वां यानी तीन-तीन बार संशोधन किया तथा उनकी रिक्तियों को सुरक्षित रखने का भी प्रावधान किया.
आरक्षण को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध भाजपा जहां नौकरियों में दलितों के प्रोमोशन में आरक्षण का समर्थन करती है वहीं दलित आरक्षण मंे क्रीमी लेयर का कभी पक्षधर नहीं रही है. भाजपा का स्पष्ट मत है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों का आरक्षण अक्षुण्ण रहना चाहिए और उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए.
अब मुख्यमंत्री आवास में न नाच होता है, न अपराधी छिपते हैं – डिप्टी सीएम
सुशील मोदी ने कहा कि अब मुख्यमंत्री आवास में न नाज होता है, न अपराधी छिपते हैं. नीतीश कुमार पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की सचाई जानने और जनता से संवाद बनाने के लिए विकास यात्रा जैसी 12 यात्राएं कीं. दिमागी दिवालियेपन की हद है कि जब कोई डिजिटल माध्यम से काम करे, तो कहो- घर से क्यों नहीं निकलते? और जब आप जनता के बीच जाएँ, तो कहो- सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. ऐसे अनेक गैरजिम्मेदार बयानों के चलते ही लोकसभा चुनाव में राजद का सूपड़ा साफ हुआ था.
कोरोना काल में ‘वर्क फ्राम होम’ का न्यू नार्मल दुनिया मान रही है, लेकिन जेल से पार्टी चलाने वाले लालू प्रसाद लालटेन युग की अवैज्ञानिक सोच से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वे एक ऐसे मुख्यमंत्री पर सरकारी आवास से बाहर न निकलने का हास्यास्पद आरोप लगा रहे हैं, जो डिजिटल माध्यम से रोजाना 16 घंटे गरीबों-मजदूरों सहित सभी वर्गों की सेवा में लगा है.
नीतीश कुमार ने काम के बल पर बिहार का मान बढ़ाया और काम के बल पर ही एनडीए जनता का भरोसा जीत कर सत्ता में लौटता रहा. काम के बल पर ही मतपेटियों से निकलने वाला भूत (लालू का जिन्न) भगाया गया. अब मुख्यमंत्री आवास में न नाच-गाना होता है, न वहां अपराधियों को छिपाया जाता है.