डेस्क रिपोर्ट : पूरे देश में पैकेज्ड वॉटर की बात की जाए तो सबसे पहले सभी की जुबान पर ‘बिस्लेरी’ का ही नाम आता है. जिसके मुताबिक ऐसा कह सकते हैं कि पूरे देश में लोगों को पैकेज्ड वॉटर के नाम पर सबसे ज्यादा भरोसा जिस पर है तो वह है ‘बिस्लेरी’. देश में आम हो या खास पैकेट बंद पानी के नाम पर ‘बिस्लेरी’ का ही सेवन करते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि आखिरकार ‘बिस्लेरी’ की कहानी क्या है. आखिर कहां से आज के दौर में इस मशहूर ब्रांड की शुरुआत हुई…
तो हम आपको बताते हैं कि, ‘बिस्लेरी’ की पूरी कहानी…. दरअसल, ‘बिस्लेरी’ की कहानी की शुरुआत इटली से हुई. इटली के साइनॉर फेलिस बिसलेरी ने ‘बिस्लेरी’ स्थापना की थी, जो आज पूरे भारत में फेमस है. वर्ष 1961 में चार चौहान भाइयों के पारले समूह का बंटवारा किया गया. इन्हीं चार भाइयों में से एक थे, जयंतीलाल चौहान। बंटवारे के बाद जयंतीलाल के हिस्से में पारिवारिक समूह का सॉफ्ट ड्रिंक कारोबार आया. जयंतीलाल को सॉफ्ट ड्रिंक का कारोबार संभालने की जिम्मेदारी मिली.
ऐसा कहा जाता है कि, 1961 के दौरान हमारा देश कभी परेशानियों से घिरा था. दाने-दाने पर भी आफत आ गई थी. ऐसे में सॉफ्ट ड्रिंक का कारोबार संभालना किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन, उन सभी चुनौतियों को पार करते हुए आज ‘बिस्लेरी’ ने ख्याति अर्जित की. दरअसल, जयंतीलाल के तीन बेटे थे. उनमें मधुकर, प्रकाश और रमेश चौहान शामिल हैं. इनमें से रमेश चौहान ने अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की थी.
अपनी पढ़ाई खत्म करते ही रमेश चौहान ने अपना कारोबार संभाल लिया. रमेश चौहान ने 1969 ‘बिस्लेरी’ को 5 लाख में इस मकसद से खरीद लिया कि वे इसे सोडा ब्रांड में बदल कर देंगे और लांच करेंगे. वहीं, उन्होंने ठीक वैसा ही किया किया. रमेश चौहान ने धीरे-धीरे थम्स अप, माजा, लिम्का जैसे कई सोडा वॉटर लांच कर डाले. वहीं, इस कारोबार में रमेश चौहान को एक के बाद एक सफलता मिलती चली गयी. इसके बाद उन्होंने अपने इस कारोबार को अमेरिका की कोका कोला कंपनी को बेच डाला.
जिसके बाद उनका ध्यान अब सिर्फ और सिर्फ ‘बिस्लेरी’ को आगे बढ़ाने पर रहा. ‘बिस्लेरी’ से जुड़ा कोई भी प्रोमोशन या प्रचार हो उसे इतने बेहतरीन ढंग से पेश किया कि आज सेफ एंड प्योर पानी के नाम लोग ‘बिस्लेरी’ का ही सेवन करते हैं. आज भारत में शायद ही ऐसा कोई होगा जो इस ब्रांड से वाकिफ ना हो. वहीं, अब अपनी इतनी कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किये गए कारोबार रमेश चौहान बेच रहे हैं. ‘बिस्लेरी’ अब रमेश चौहान की नहीं रहेगी. ऐसा कहा जा रह है कि ‘बिस्लेरी’ अब देश के जाने-माने टाटा ग्रुप के हिस्से में जा सकती है.
‘बिस्लेरी’ को अब टाटा ग्रुप को बेचा जा सकता है. वहीं, यह फैसला रमेश चौहान ने अपनी बेटी जयंती चौहान के मद्देनजर लिया है. दरअसल, रमेश चौहान का कहना है कि, उनकी इकलौती बेटी जयंती को बिज़नेस में रूचि नहीं है. उनके पास और कोई नहीं है जिसे वे अपने कारोबार की जिम्मेदारी दे सकते हैं इसलिए ‘बिस्लेरी’ को बेचना का फैसला मजबूरी में करना पड़ रहा है. रमेश चौहान का कहना है कि, उनकी बेटी की रूचि आर्ट, ट्रैवेलिंग और फोटोग्राफी में है लेकिन बिज़नेस में नहीं इसलिए अब इसे बेचा जा रहा है. बता दें कि, ‘बिस्लेरी’ को टाटा ग्रुप से करीब 7000 करोड़ में बेचे जाने की संभावना जताई जा रही हैं.
पटना से प्रीति दयाल की रिपोर्ट