PATNA: मिथिला स्टूडेंट यूनियन द्वारा पटना स्थित विद्यापति भवन में संगठन के मुख्य धारा के लीडरशिप द्वारा 4 दिसंबर को पटना में पृथक मिथिला राज्य हेतु राजभवन मार्च को लेकर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। एमएसयू ने मांग की है कि भौगोलिक, आर्थिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मिथिला के पास एक राज्य की सारी योग्यताएं शीघ्र बने मिथिला राज्य।
मिथिलावादी नेताओं ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि भाषा, लिपि, क्षेत्र, जनसंख्या और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के मानक पर खरा उतरते हुए मिथिला पूर्ण राज्य बनाने का अधिकार रखता है। भौगोलिक, आर्थिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मिथिला के पास एक राज्य की सारी योग्यताएं हैं। दुर्भाग्य की बात है कि भारत की स्वतंत्रता के समय ही इसे राज्य का दर्जा प्रदान नहीं किया गया। परिणाम स्वरुप स्वतंत्रता के पूर्व तथा बाद से कुछ वर्षों में जो इसका आर्थिक ढांचा था, धीरे-धीरे वह भी नष्ट हो गया।
शोषण तथा उपेक्षा इतनी बढ़ती गई कि सारे उद्योग धंधे समाप्त हो गए तथा उससे संबंधित कृषि का विनाश होता गया। प्रति वर्ष बाढ़ एवं अकाल के तांडव तथा राजनेताओं के खोखले आश्वासन, छलावा एवं शोषण यहां की नियति बन गई। अतः अगर शोषण तथा विकास को आधार मानकर राज्यों का निर्माण होता रहा है तो भी मिथिला राज्य का निर्माण परम आवश्यक एवं समय के अनुकूल है। राज्य स्थापना के बाद ही इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की बात सोची जा सकती है ।
कृषि, उद्योग-धंधा, पर्यटन, शिक्षा एवं संस्कृति के विकास से ही इस क्षेत्र की दुर्दशा तथा बेरोजगारी का अंत हो सकता है तथा लोगों का पलायन रुक सकता है। सैकड़ों वर्षो से उपेक्षित मिथिला को विकसित करने का एक ही उपाय मिथिला राज्य बनाना है।
मिथिला क्षेत्र विकास के मामले में बहुत पिछड़ा इलाका है। “यदि 6 करोड़ की जनसंख्या वाले गुजरात में आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, आई आई आईटी, एनआईएफटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी आदि हो सकता है तो 6 करोड जनसंख्या वाले मिथिला में इनमें से एक भी क्यों नहीं है ? उनको क्यों बुलेट ट्रेन हमको क्यों जनसाधारण ट्रेन ? नीति आयोग की रिपोर्ट में भी अभी हाल ही में जारी हुआ था कि बिहार की 17 सबसे गरीब और पिछड़े जिले मिथिला क्षेत्र में है। जीडीपी ग्रोथ के हिसाब से हो अथवा प्रति व्यक्ति आय, औद्योगिक उत्पादन की बात हो अथवा कृषि उत्पादन, शिक्षा दर हो अथवा ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स, शहरीकरण की बात हो या पलायन अथवा अन्य कोई भी विकास का मापदंड… मिथिला क्षेत्र पूरे देश में सबसे पीछे है। बाढ़ जैसी आपदा झेलने वाला 6 करोड़ से अधिक जनसंख्या का यह क्षेत्र सिर्फ देश के लिए सस्ता मजदूर सप्लाई करने वाला लेवर जोन है।
तो क्या देश की सरकार को इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं करना चाहिए ? मिथिला के विकास के लिए आज तक स्पेशल पैकेज कभी नहीं मिलेगा। नया मिथिला राज्य बनेगा तो संवैधानिक और नैतिक रूप से जिम्मेदारी होगी केंद्र के लिए कि नए गठित राज्य को स्पेशल पैकेज अथवा केंद्रीय सहायता दे। नया राज्य बनेगा तो स्वभाविक रूप से नई राजधानी बसेगी। नए राजधानी में इन्फ्राट्रक्चरल डेवलपमेंट होगा , भवन, सड़कें, संस्थान, रेल मेट्रो आदि बनेगा, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट आएगा, कंपनीज आएगी, लाखों की संख्या में नया रोजगार उत्पन्न होगा।
नए राज्य के बनने से प्रशासनिक सुगमता हेतु नए जिले बनेंगे। नए प्रखंड, नया थाना और अनुमंडल सब बनेगा। इनके बनने से ग्रामीण क्षेत्रों तक विकास की नई धारा बनेगी। नया राज्य बनेगा तो उसके हिस्से का आईआईटी, आई आई एम, एन आई टी, ट्रिपल आईटी, निफ्ट सेंट्रल यूनिवर्सिटी, हाई कोर्ट मिलेगा।
केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं संस्थानों का ऑफिस मिलेगा। नई यूनिवर्सिटीज, नए अस्पताल स्थापित होंगे। इस प्रेस वार्ता में मिथिलावादी नेता रजनीश प्रियदर्शी, जिप सदस्य व प्रदेश अध्यक्ष अमित कुमार ठाकुर, मिथिलावादी पार्टी अध्यक्ष शरद झा, संयोजक संतोष मिश्रा, जिप सदस्य व वरिष्ठ छात्र नेता सागर नवदिया, मिथिला वादी नेता विद्या भूषण राय, अनुपमा झा, प्रियंका मिश्रा, खगड़िया से सुधांशु पासवान, बेगूसराय से संजय महतो, शशि सिंह सहरसा से पटना प्रभारी अभिषेक मिश्रा की गरिमामई उपस्थिति रही। वहीं इस आयोजन को सफल कराने में शिवेश आनंद, राघव चौधरी, आशानंद मिश्रा ने योगदान दिया।
पटना से संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट