द एचडी न्यूज डेस्क : रोहतास जिला सिर्फ धाने के कटोरा से नहीं जाना जाएगा, बल्कि अब जिले में मशरूम, आम, कटहल, अमरुद, अनार आंवला आदि चीजों के उत्पादन की ख्याति होने लगी है. आधुनिक तरीके से खेती कर अधिक उपज करने वाले जिले के सात प्रगतिशील किसानों में अपना नाम दर्ज कृषि संबंधित दर्जनों पुरस्कार हासिल करने वाले राजपुर के सबेंयां के निवासी किसान विजय कुमार सिंह पारंपरिक खेती से हट केले की खेती में जुटे है.
अच्छे प्रभेद के केले की खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि केलेक का पौधा बागवानी मिशन सासाराम से लिया गया. जिसका प्रभेद टिशू जी नाइन है. जो लगभग 15-16 माह में फल देने लगता है.
क्या है फायदा
बागवानी मिशन से केले का पौधा खरीदने में प्रति पौधा 17.50 रुपए खर्च आता है. एक एकड़ में 1234 केले का पौधा लगाए जा सकते हैं. जिसमें उत्पादन में करीब 25-30 हजार रुपए खर्च आते है. बाजार में बिक्री करने पर 60-70 हजार रुपए की आमदनी होती है. 15 व 16 माह में फसल तैयारी होती है. इस प्रकार किसानों को आधिनिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए खरीदी गई कीमत का 50 फीसदी बागवानी मिशन अनुदान करता है. बिक्रमगंज के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी सह वैज्ञानिक डॉ. रामपाल कहते है कि केले की खेती लाभदायक है. इसके पौधों की सिंचाई ड्रिप विधि से करने पर उसके फल एक आकार में होते है. ड्रिप विधि से सिंचाई करने पर पानी की खपत कम होती है.

केले की खेती करने की विधि
किसान विजय बहादुर सिंह कहते हैं कि खेत की अच्छी तरह से जुताई कर सिंचाई के बाद केले के पौधे को एक-दूसरे से छह-छह फीट की दूरी पर लगाते है. केले की रोपाई 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच होने से किसान को अधिक लाभ होता है. केले का पौधा लगाने के बाद उस भूमि पर साग-सब्जी की खेती आसानी से होती है. चूंकि दोनों फसलों की एक साथ सिंचाई, उर्वरक और दवा का छिड़काव करने से लागत खर्च कम होती है.

कई बार हो चुके हैं सम्मानित
किसान विजय बहादुर सिंह कई बार किसानी में राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त कर क्षेत्र नहीं जिले का नाम रौशन किए हैं. पहला पुरस्कार 24 फरवरी 2014 को जाल से फसल बर्बाद कर खरोज को पकड़ने के लिए मिला. दूसरा पुरस्कार नौ नवंबर 2013 को गुजरात में भाई-ब्रेंड अवार्ड से सम्मानित किया गया. तृतीय पुरस्कार पांच अगस्त 2012 को कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के स्थापना दिवस पर नावाचार किसान के रूप में मिला. चौथा पुरस्कार पांच अक्टूबर 2013 को आईसीएआर के पूर्व निदेशक डॉ. मंगला राय द्वारा उत्कृष्ट खेती के लिए मिला. पांचवां पुरस्कार 14 फरवरी को महिंद्रा समृद्धि एॉडवाड द्वारा किसान सम्राट से सम्मानित किया गया. छठा और अंतिम पुरस्कार 14 अप्रैल 2014 को एनिवेटर्स मीट कोलकाता में जोनल फार्मर के लिए मिला.