आनंद बिहारी सिंह की रिपोर्ट
सीतामढ़ी में एक महिला ने सामाजिक बंधन और लोक लाज को छोड़कर लॉक डाउन में कैची और उस्तरा उठाने को मजबूर हो गई , पुरुष प्रधान समाज में किसी महिला के पुरुष को हजामत बनाने की बात हर किसी को थोड़ी लोक लाज और शर्मिंदगी भरी लगे लेकिन सीतामढ़ी जिले के बाजपट्टी प्रखंड के बसौल गांव की सुखचैन देवी ने यह काम बखूबी करना शुरू कर दिया है सुखचैन देवी के पति लॉक डाउन में बेरोजगार हो चुके हैं जिसके कारण उनकी घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई इसके बाद महिला ने खुद हाथ में कैंची उस्तरा उठा कर अपने परिवार के लिए पैसा कमाना शुरू कर दिया। समाजिक सीमाओं को लांघ कर सुखचैन देवी ने परिवार के सुख चैन के लिए नाई का पेशा अपना लिया 35 वर्षीय सुख चैन से अंदर हजामत बनाने की बेहतरीन कला पहले से थी अवसर व संसाधन की कमी ने उन्हें घर-घर जाकर लोगों का बाल काटने वाली बनने को मजबूर कर दिया वो ये काम शोहरत के लिए नहीं बल्कि गरीबी से जंग लड़ने के लिए कर रही है महिला ने बताया कि लोगों के बाल दाढ़ी बना कर रोज 200 से ₹300 कमा लेती है। इस लॉक डाउन और कोरोना महामारी के बीच महिला के पति रमेश ठाकुर का रोजगार पूरी तरह समाप्त हो गया वह पूर्व में बिजली मिस्त्री के तौर पर काम करके अपना घर किसी तरह चला लेते थे लेकिन अभी पंजाब में उनके पति से फंसे हुए हैं और कोई पैसा भी नहीं भेज रहे हैं जिससे परिवार चल सके अभाव के कारण सुख चैन देवी ने अपने परिवार का जिम्मा खुद उठाने की ठानी और सामाजिक ताने-बाने को ताक पर रखकर महिला होते हुए अपने पेट की आग बुझाने के लिये घर घर जाकर पुरुषों के बाल दाढ़ी बनाने लगी.