नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में बैंक में जमा आपकी रकम पर मिलने वाले इंश्योरेंस में इजाफ कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को यानी 12 दिसंबर को इस बारे में देश को बारीक से बारीक बातें बताने वाले हैं. रविवार दोपहर 12.15 बजे से पीएम देश को संबोधित करेंगे और बताएंगे कि उन्हें कैसे इस योजना का फायदा मिल सकता है.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) एक्ट में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई थी जिसे बाद में संसद से भी पास करा दिया गया था. डीआईसीजीसी अधिनियम के तहत इंश्योर्ड बैंक डिपॉजिट की सीमा को एक लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने की घोषणा की गई थी. अब इसे अब सरकार ने लागू कर दिया है.
इससे किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिन के भीतर पैसा मिलना संभव हो सकेगा. सरकार का कहना है कि बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को 90 दिनों के भीतर बैंक जमा पर पांच लाख रुपए का इंश्योरेंस मिलेगा. यानि अगर उनका बैंक बंद हो जाता है या पैसे निकालने पर प्रतिबंध लग जाता है, तो भी ग्राहकों का पांच लाख रुपए सुरक्षित होगा.
बजट में हुआ था ऐलान
बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ऐलान किया था. सरकार के इस फैसले के पीछे मकसद यह है कि बैंक में ग्राहकों का जमा पैसा सुरक्षित रह सकें. पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में हुए घोटाले के बाद बैंक के ग्राहक अपना पैसा वापस करने की मांग करने लगे थे. जिसके बाद बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम जनता के पैसों की सुरक्षा के लिए यह घोषणा की थी. केंद्र सरकार ने डीआईसीजीसी अधिनियम के तहत इंश्योर्ड बैंक डिपॉजिट की सीमा को एक लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने की घोषणा की थी.
इन्हें मिलेगा फायदा
नियम कहते हैं कि अगर कोई बैंक डूब जाता है तो उस बैंक के ग्राहकों का पांच लाख रुपये तक का डिपॉजिट सिक्योर्ड रहता है. भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के तहत यह रकम सुरक्षित रहती है. सभी कमर्शियल और को ऑपरेटिव बैंक का इंश्योरेंस डीआईसीजीसी से होता है, जिसके तहत जमाकर्ताओं के बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवरेज मिलता है. डीआईसीजीसी के तहत बैंक में जमा रकम, फिक्स्ड डिपॉजिट, करंट, रेकरिंग जैसे हर तरह के डिपॉजिट को इंश्योर किया जाता है. साथ ही सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक, कोऑपरेटिव बैंक भी इसके दायरे में कवर किए जाते हैं. हालांकि अगर तय रकम के अलावा किसी ग्राहक के पांच लाख रुपए से ज्यादा बैंक में जमा है तो फिर उसकी बाकी की जमा राशि डूबने का डर रहता ही है.