पटना ब्यूरो
पटना: शिवानंद तिवारी ने कहा है कि प्रधानमंत्री के मन में जन का स्थान नहीं है। इसलिए जब वे मन की बात करते हैं तो उसमें जन की बात नहीं होती है। रविवार को उन्होंने देश को अपने मन की बात सुनाई। तरह-तरह की बातें उन्होंने कीं। लेकिन देश के करोड़ों गरीब लोग जो आस लगाकर उनकी बात सुन रहे थे उनकी कोई बात प्रधानमंत्री के मन की बात में नहीं थी। लॉक डाउन की वजह से लाखों लाख छोटे-छोटे काम बंद हैं। जानकार बताते हैं कि फुटपाथ पर दुकान लगाकर तरह तरह की सामग्री बेचने वाले वालों की संख्या देश में चार करोड़ है। उनका काम बंद है। लाखों लाख प्रवासी मजदूर, जहां-तहां फंसे हुए हैं। अपने घर जाने की बदहवासी में कितने लोगों की जान चली गई। उनके सामने भुखमरी की समस्या है। ऐसे लोग बहुत आस लगाकर प्रधानमंत्री की मन की बात सुन रहे थे लेकिन उनके हाथ तो निराशा ही लगी।
उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री ने दिन के 11:00 बजे मन की बात शुरू की थी। उसके पहले देश के कई इलाकों में मूसलाधार बारिश और ओला का गिरना शुरू हो चुका था। बड़े पैमाने पर रबी की फसल का नुकसान हुआ। हमारे यहां बिहार के छपरा जिला में आकाशीय बिजली के गिरने से लगभग एक दर्जन लोग मारे गए जा चुके थे लेकिन प्रधानमंत्री की मन की बात में महाभारत की बात थी, योग और आयुर्वेद की बात थी, महायज्ञ की बात थी, किसानों की पुलिस वालों की तथा अन्य लोग जो अगली कतार में कोरोना के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं उनकी बात थी। लेकिन प्राकृतिक आपदा से हताश किसानों की बात नहीं थी। उन करोड़ों लोगों का जीवन कैसे चलेगा, जिनका इस लॉकडाउन में काम बंद हो चुका है। भूखमरी के कगार पर पहुंचे वैसे लोगों के लिए सरकार के पास क्या योजना है, जिससे उनके मन में साहस का संचार हो, इसकी कोई चरचा प्रधानमंत्री ने नहीं की। गरीब की माई बाप तो सरकार होती है। किसी भी संकट में गरीबों की आस तो सरकार पर ही टिकी होती है। जो साधन संपन्न लोग हैं, वह तो कहीं ना कहीं से अपना जुगाड़ कर लेंगे। लेकिन गरीब बेचारे कहां जाएंगे और जब प्रधानमंत्री मन की बात करता है तो गरीबों को बेसब्री से इंतजार रहता है। प्रधानमंत्री के मन में हमारा स्थान है या नहीं। ऐसे तमाम लोग प्रधानमंत्री के कल की मन की बात सुनकर बहुत निराश हुए होंगे। हम जानते हैं कि हमारे इस कथन से प्रधानमंत्री को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। सारा देश आज प्रधानमंत्री का भक्त बना हुआ है। इस माहौल में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की बात स्मरण कराना चाहूंगा। संविधान सभा में उन्होंने चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि भक्ति मोक्ष के लिए तो ठीक है लेकिन राजनीति में भक्त तो देश को तानाशाही की ओर ले जाते हैं।