रांची : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा यानी जेएसएससी की नई नियमवाली को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. झारखंड हाईकोर्ट की अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज और कुमारी सुगंधा के मुताबिक, प्रार्थी रमेश हांसदा व अन्य के द्वारा झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर नयी नियमावली को रद्द करने की मांग की गई है. प्रार्थियों के द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि उर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में राजनीतिक मंशा के कारण रखा गया है.
झारखंड के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का माध्यम हिंदी है. उर्दू की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोग मदरसे में करते हैं. ऐसे में किसी खास वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के मौके में कटौती करना संविधान की भावना के मुताबिक, सही नहीं है. इसलिए राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नई नियमवाली के दो प्रविधानों को निरस्त किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि सरकार ने नियमवाली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है, जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया को रखा गया है. सरकार के इसी फैसले को झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है.
गौरी रानी की रिपोर्ट