नई दिल्ली : लॉकडाउन में घर बैठे सोना खरीदना चाहते हैं तो मोदी सरकार आपके लिए एक खास स्कीम लेकर आई है. वित्त वर्ष 2021 के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की तीसरी सीरीज आठ जून से सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगी. यह सब्सक्रिप्शन के लिए 12 जून तक खुली रहेगी. केंद्रीय बैंक ने ऐलान किया था कि सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को 20 अप्रैल से सितंबर तक छह हिस्सों में जारी करेगी. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार की ओर से जारी करेगा. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए एक ग्राम सोने का भाव 4,677 रुपए तय किया गया है. वहीं अगर ऑनलाइन खरीदते हें तो इस पर 500 रुपए प्रति 10 ग्राम या या 50 रुपए प्रति ग्राम की छूट मिलेगी.
मई सीरीज में रिकॉर्ड बिक्री
मौजूदा वित्त वर्ष में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मई सीरीज को लेकर निवेशकों में जबरदस्त क्रेज दिखा था. सरकार ने मई महीने में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिए 25 लाख यूनिट बेचकर 1168 करोड़ रुपए की कमाई की. इससे पहले अक्टूबर 2016 में सबसे ज्यादा 1082 करोड़ का गोल्ड बॉन्ड सरकार ने बेचा था. मई सीरीज में गोल्ड बॉन्ड को 11 से 15 मई के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए खोला गया था, जिसमें एक यूनिट का भाव 4590 रुपए था. आनलाइन खरीदने पर 500 रुपए प्रति 10 ग्राम या 50 रुपए प्रति ग्राम की छूट थी. गोल्ड बांड के अप्रैल सीरीज में सरकार को 822 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी. अबतक कुल 39 इश्यू जारी हो चुके हैं.
क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम?
इस योजना की शुरुआत नवंबर 2015 में हुई थी. इसका मकसद फिजिकल गोल्ड की मांग में कमी लाना तथा सोने की खरीद में उपयोग होने वाली घरेलू बचत का इस्तेमाल वित्तीय बचत में करना है. घर में सोना खरीद कर रखने की बजाय अगर आप सॉवरेन गोल्डं बॉन्डे में निवेश करते हैं, तो आप टैक्सय भी बचा सकते हैं.
कितना खरीद सकते हैं सोना
कोई शख्स एक वित्त वर्ष में मिनिमम 1 ग्राम और मैक्सिमम 4 किलोग्राम तक वैल्यू का बॉन्ड खरीद सकता है. हालांकि किसी ट्र्स्ट के लिए खरीद की अधिकतम सीमा 20 किग्रा है.
2.5 फीसदी रिटर्न की गारंटी
गोल्ड बांड में सोने में आने वाली तेजी का फायदा तो मिलता ही है. इस पर सालाना 2.5 फीसदी ब्याज भी मिलता है. ब्याज निवेशक के बैंक खाते में हर 6 महीने पर जमा किया जाएगा. अंतिम ब्याज मूलधन के साथ मेच्योरिटी पर दिया जाता है. मेच्योरिटी पीरियड 8 साल है, लेकिन 5 साल, 6 साल और 7 साल का भी विकल्प होता है. अगर सोने के बाजार मूल्य में गिरावट आती है तो कैपिटल लॉस का खतरा भी हो सकता है.