द एचडी न्यूज डेस्क : पूरे देश के साथ-साथ राज्य भी कोरोना की महामारी से जुझ रहा है. बिहार में भी कोरोना तेजी से अपना पांव पसार रहा है. बिहार में कोरोना का आंकड़ा 1178 तक पहुंच गया है. अबतक कोरोना से आठ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं पांच सौ के करीब लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं.
वहीं कोरोना कहर में नेता लोग सोशल मीडिया पर छाये हुए हैं. चाहे व सत्ता पक्ष हो या विपक्ष. रालोसपा प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया के जरिए बिहार सरकार और सीएम नीतीश कुमार पर हमला किया है. उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट के माध्यम से निशाना साधते हुए कहा कि कोविड-19 संकट से निपटने में नीतीश सरकार विफल रही है. रालोसपा ने इसके लिए 14 सुझाव सरकार को दिए हैं.
रालोसपा का सुझाव
- राज्य में धोबी, लुहार, बढ़ई, दर्जी, रेहड़ी-पटरी और नाई का काम करने वाले परिवारों को पांच-पांच हजार रुपए दिए जाएं.
- सब्जी व फूल उत्पादकों को प्रति एकड़ 5,000 रुपए की राहत दी जाए.
- रोजाना हाट-बाजारों में सब्जी, फल, फूल, चूड़ी-लहठी व अन्य सामानों को बेचकर अपने परिवार का भरण- पोषण करने वालों को 5000 रुपए प्रति परिवार दिया जाए.
- ऑटो-टैक्सी एवं ठेला-रिक्शा चलाकर गुजारा करने वाले परिवारों को भी 5,000 रुपए मुआवजा दिया जाए.
- संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कामगारों, कुशल व अकुशल श्रमिकों तथा खेतिहर मजदूरों को 5,000 रुपए की मदद दी जाए.
- हलवाई, कुम्हार, जुलाहा, बुनकर, बीड़ी बनाने वाले, ताड़ी बेचने वाले, सड़क किनारे जूता-चप्पल सिलने वाले, पान व चाय दुकान चलाने वाले प्रत्येक परिवार को भी पांच-पांच हजार रुपए दिए जाएं.
- ….कई अफवाह सोशल मीडिया पर फैला, इससे पॉल्ट्री फर्म चलाने वाले लोगों बहुत नुकसान हुआ….……मुर्गीपालकों को कारोबार फिर से शुरू करने के लिए सब्सिडी के साथ वर्किंग कैपिटल लोन मुहैया कराया जाए.
- सोशल मीडिया में चले अफवाहों के कारण मछुआरों, मत्स्यपालकों, भेड़-बकरी पालकों व इनसे जुड़ें परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. इसीलिए इनके परिवारों को भी पांच-पांच हजार रुपये दिए जाएं.
- राज्य भर में काम करने वाले छोटे औद्योगिक इकाई यानी एमएसएमई, दुकानदार और व्यापारियों को तीन महीने के बिजली बिल पर मासिक फिक्स्ड चार्ज माफ किया जाए.
- राज्य भर के मॉल और बड़े रीटेलरों सहित बड़े उद्योगों के बिजली बिल के फिक्स्ड चार्जेज को कम से कम तीन महीने के लिए टाला जाए और उसे अगले एक साल के दौरान मासिक किस्तों में वसूल किया जाए.
- किसानों को कई जिलों में गेहूं इनपुट अनुदान नहीं मिल रहा है. आपको ज्ञात है कि ….बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण ….किसानों को बड़ा नुकसान हुआ. इसीलिए गेहूं किसानों को भी इनपुट अनुदान दिया जाए.
- लीची किसानों पर लॉकडाउन और मौसम की दोहरी मार पड़ी है. इस वर्ग को भी विशेष सहायता की जरूरत है और उनके नुकसान का आकलन कर उन्हें आर्थिक् सहयोग किया जाए.
- पांच एकड़ तक के मालिकाना हक वाले किसानों के 20,000 रुपए तक का कृषि ऋण माफ किया जाए.
- सभी तरह के यात्री बस और मालवाहक ट्रकों का…….सरकार न सिर्फ दो महीने का रोड टैक्स माफ करे, बल्कि इन्सुरेंस कंपनियों से बात कर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के बीमा अवधि को भी तीन महीने बढ़ाया जाए.