आशुतोष, गढ़वा
गढ़वा: कुछ ही रोज़ पहले कोरोना मुक्त जिला घोषित होने के बाद एक साथ 20 संक्रमित पाए जाते ही गढ़वा को रेड जोन करार दे दिया गया है। पर यहां ख़ुद को अभी भी सेफ जोन में समझते हुए आम और ख़ास के साथ साथ प्रशासनिक महकमे द्वारा बड़ी लापरवाही बरती जा रही है, जो निश्चित रूप से ख़तरे वाली है। दरअसल जिले में संक्रमित पाए गए सभी प्रवासी मजदूर हैं और अभी भी लगातार सुदूर प्रदेशों से मजदूरों का आना जारी है। एक तरफ़ कुछ मजदूर जांच हेतु जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर नामधारी कॉलेज परिसर में भी उनकी स्क्रीनिंग की जा रही है। डॉक्टरों के अनुसार जांचोपरांत उन्हें होम कोरेनटाइन हेतु हिदायत करते हुए भेजा जा रहा है। लेकिन अस्पताल, सड़क और जांच केंद्र, सभी जगह इस्तेमाल किये गए मास्क और ग्लव्स फेंके जाने के कारण लोग दोहरी दहशत में जीवन बसर कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक तरफ उन्हें कोरोना डरा रहा है तो वहीं दूसरी ओर यह फेंका गया मास्क और ग्लव्स वायरस के करीब ला रहा है।
जानकारों की माने तो कभी भी लगाया हुआ मास्क और इस्तेमाल किया गया ग्लव्स यूं ही नहीं फेंका जा सकता है। लेकिन महामारी के साथ साथ बीस संक्रमित पाए जाने के बाद भी मास्क और ग्लव्स बाहर फेंके जा रहे हैं। जिला अस्पताल परिसर के साथ साथ जहां बड़ी संख्या में मजदूरों की स्क्रीनिंग हो रही है, वहां भी मास्क और ग्लव्स फेंके पड़े हैं। यहां तक की जांच कर्मियों के टेबल के नीचे के साथ साथ पास के कमरे में इस्तेमाल किये गए ग्लव्स और मास्क बड़ी मात्रा में फेंके हुए हैं। हालांकि पूरे मामले पर सिविल सर्जन का कहना है कि यह बहुत ही ख़तरे वाली बात है। मास्क और ग्लव्स को इस्तेमाल करने के उपरांत फौरन उसे नष्ट कर देना है। ऐसी लापरवाही सफाईकर्मियों द्वारा बरती जा रही है, तो इस पर नजर करेंगें।