NEW DELHI: भारत सरकार ने 81 करोड़ से अधिक देशवासियों के लिए मुफ्त राशन देने की तारीख को और आगे बढ़ाया है। निःसंदेह यह एक लोक कल्याणकारी सरकार की संवेदनशीलता है, परन्तु दूसरी तरफ इस बात की भी पुष्टि होती है कि देश में ग़रीबों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। इससे देश के खाद्य भण्डार और पोषण पर अत्यधिक दवाब बढ़ा है। ज़रूरत है हाथ को रोज़गार की, न कि मुफ़्तखोरी की।
दूसरी तरफ, सरकार पर कर्ज़ का भार बढ़ा है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि निर्यात कम रहा है और आयात बढ़ा है। हमारे उद्योग की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में और गिरावट आई है। फलस्वरूप बेरोज़गारी बढ़ी है। इसको सम्भालने के लिए सरकार को अत्यधिक ब्याज और ऋण देने पड़ रहे हैं। जबकि हमारी विदेशी मुद्रा लगातार घटती जा रही है। हम आमदनी से अधिक ख़र्च इन्फ्रास्ट्रक्चर और सब्सिडी पर करने के लिए मज़बूर हैं। पर, यह आर्थिक सुधार के लिए नई सोच कदापि नहीं है।
प्रो0 नवीन कुमार, नेशनल मीडिया कार्डिनेटर, नेशनलिस्ट काँग्रेस पार्टी (NCP) ने भारत सरकार को देश की बदहाली के लिए दोषी करार देते हुए नई नीति और आर्थिक सुधार के लिए विपक्षी नेताओं के उचित सुझाव और बहस पर ध्यान देने की ज़रूरत बताई है। सिर्फ़ चुनावी जीत को ध्यान में रखना और सरकार से मनमानी निर्णय को, त्यागने की बात की है।
कुमार गौतम की रिपोर्ट