छपरा : स्थानीय प्राधिकार चुनाव के लिए लड़ रहे निर्दलीय प्रत्याशी इंजीनियर सच्चिदानंद राय ने अपनी चुनावी जनसभा के दौरान कई पंचायतों का दौरा किया. उन्होंने सारण जिला के दरियापुर प्रखंड के मगरपाल, मानपुरा, दरिहरा, बरवे, बेला, बजरिया, महमदपुर, दरियापुर, हरना, नाथा छपरा, अकबरपुर, मुजौना, मतिहान, प्रतापपुर, फतेहपुर, खानपुर, पिरारीडीह, हरिहरपुर, जितवारपुर, सुतिहार, ककरहट और बिश्वम्भरपुर आदि पंचायत के जनप्रतिनिधियों से बैठकर विचार विमर्श किए.
उन्होंने पंचायत के विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि 2015 से पहले पंचायत राज व्यवस्था की नीतियां सिर्फ फाइलों में ही रहती थी. लेकिन जब मुझे स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने का अवसर मिला तो मुझे कुछ समझ नहीं था. तब मैंने पंचायती राज व्यवस्थाओं के बारे में विस्तृत रूप से जनाकरी ली. जिसमें मुझे पता चला कि पंचायती राज की व्यस्थाओ पर अधिकारियों का कब्जा है. जनप्रतिनिधियों के द्वारा मुझे पिछले चुनाव में अपार समर्थन के बाद जब मैं विधान परिषद पहुंचा तो सबसे पहले त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्थाओं में सुधार लाने और सभी जनप्रतिनिधियों को उनके अधिकार दिलाने की दलील रखी थी. जिसका नतीजा 2016 में ही दिखने लगा था.

सच्चिदानंद राय ने आगे कहा कि सात निश्चय की योजनाओं की जिम्मेवारी वार्ड सदस्यों को मिली. उसके बाद ग्राम सभा और पंचायतों को मजबूत करने की दलील रखी. जिसपर सरकार ने विचार कर इस बार नए नीतियों से उसे जोड़ा है. उन सभी नीतियों को धरातल पर उतारने के लिए मेरा इस बार चुनाव जीतना जरूरी है. भीख नहीं अधिकार चाहिए गांव की सरकार चाहिए, इसी मुद्दे में ही सभी उद्देश्य छिपी हुई है. जब गांव के मुहल्ले के जनप्रतिनिधियों को उनका अधिकार मिलने लगेगा. उन्हें उनके द्वारा मोहल्ले को नया विकास मिलेगा, तो निश्चित ही उस काम के एवज में उन्हें अच्छी वेतन और पेंशन भी मिलेगी. लेकिन सबसे जरूरी है कि पहले उन्हें अधिकार तो मिले.

निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि 2016 में पहली बार वार्ड सदस्य को पंचायती राज व्यवस्थाओं से जोड़ा गया और उन्हें उनका अधिकार मिला. कई नई योजनाएं हैं, जिसमें पंचायत को मजबूत करने एवं ग्रामसभा के माध्यम से गांव की सरकार बनानी जरूरी है. उन सभी योजनाओं को नए नीतियों में जोड़ा गया है. उन सभी नीतियों से पंचायत मजबूत हो और सभी जनप्रतिनिधि भी अपने क्षेत्र में गांव पंचायत को मजबूत करने के लिए कार्य करे. धरातल पर योजनाएं उतरे इसके लिए मेरा इस बार जितना जरूरी है. मेरा सपना है कि मेरे बिहार का पंचायत पंचायती राज व्यवस्था भारत ही बल्कि विश्व में मॉडल के रूप में जाना जाए. यह सब त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के जरिए ही संभव है.
बिपिन कुमार मिश्रा की रिपोर्ट