नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. अब सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि मोदी कैबिनेट इस बुधवार यानि 24 नवंबर को इन कानूनों की वापसी पर अपने मंजूरी दे दगी. इसके बाद 29 नवम्बर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही कानून वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
संसदीय नियमों के मुताबिक, किसी भी पुराने कानून को वापस लेने की भी वही प्रक्रिया है जो किसी नए कानून को बनाने की है. जिस तरह से कोई नया कानून बनाने के लिए संसद के दोनों सदनों से बिल पारित करवाना पड़ता है ठीक उसी तरह पुराने कानून को वापस लेने या समाप्त करने के लिए संसद के दोनों सदनों से बिल पारित करवाना पड़ता है. दूसरे अर्थों में कहें, तो एक नया कानून बनाकर ही पुराने कानून को खत्म किया जा सकता है.
उदाहरण के तौर पर समझें
उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग कानून, 1993 को वापस लेने के लिए मोदी सरकार ने पांच अप्रैल 2018 को लोकसभा में पेश किया. बिल लोकसभा में 10 अप्रैल को पारित हुआ. हालांकि राज्यसभा में पारित होने के लिए उसे अगले सत्र तक इंतजार करना पड़ा. छह अगस्त को बिल राज्यसभा से पारित हुआ. उसके बाद सभी अन्य बिलों की तरह दोनों सदनों से पारित होने के बाद इस बिल को भी 14 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और पुराना कानून वापस लिया गया.
इसी तरह दोबारा सत्ता में आने पर मोदी सरकार ने एक साथ 60 पुराने कानूनों को वापस लेने या समाप्त करने के लिए 25 जुलाई 2019 को Repeal & Amending Bill,2019 के नाम से एक बिल लोकसभा में पेश किया. बिल लोकसभा में 29 जुलाई को जबकि राज्यसभा में दो अगस्त को पारित हुआ. आठ अगस्त को दोनों सदनों से पारित बिल को राष्ट्रपति की औपचारिक मंजूरी मिली और एक नए कानून के जरिए 60 पुराने कानून को समाप्त कर दिया गया.
सत्र शुरू होने के पहले हफ़्ते ही वापस लिया जा सकते हैं कानून
में पीएम के ऐलान की तामील के लिए भी 29 नवम्बर से शुरू हो रहे संसद सत्र में लोकसभा या राज्यसभा में तीन कानूनों के लिए या तो तीन अलग-अलग या फिर तीनों के लिए एक ही बिल पेश किया जाएगा. पेश होने के बाद चर्चा या बिना चर्चा के बिल पहले एक सदन से और फिर दूसरे सदन से पारित होने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही तीनों कृषि कानून निरस्त हो जाएंगे. बिल पारित होने में कितना समय लगेगा ये सरकार की प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा. हालांकि पीएम की घोषणा से अनुमान यही लगाया जा सकता है कि दो दिनों में ही दोनों सदनों से बिल पारित होकर राष्ट्रपति के पास अनुमति के लिए भेज दिया जाएगा. ऐसे में उम्मीद यही है कि सत्र शुरू होने के पहले हफ़्ते में ही तीनों कृषि कानून वापस ले लिए जाएंगे.