देश समेत पूरे बिहार में कोरोना महामारी तेजी से पैर पसार रहा है। बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या करीब 55 हजार हो चुकी है जबकि देश में यह आंकड़ा 17 लाख को पार कर चुका है। कोरोना से बचाव के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से तमाम कोशिशें की जा रही है। बावजूद इसके बड़े पैमाने पर लोग कोरोना के शिकार हो रहे हैं।
बिहार में बड़े-बड़े राजनेता से लेकर प्रशासनिक अधिकारी और चिकित्सक भी कोरोना की जद में आ चुके हैं। कोरोना संक्रमित लोगों में एक नाम बिहार बीजेपी के वरीय नेता और एमएलसी सच्चिदानंद राय का भी है। सच्चिदानंद राय ने बताया है कि कैसे वह इस महामारी की जद में आकर भी सकुशल इसे हराने में कामयाब रहे हैं।
दरअसल सच्चिदानंद राय वो शख्स है जो कोरोना के शुरुआती दिनों से ही इसके प्रकोप से बचने और बचाने पर जोर देते रहे हैं। कोरोना को लेकर वे हमेशा से सतर्क रहते हुए लोगों से भी सुरक्षित रहने की अपील निरंतर करते रहे हैं। बावजूद इसके वे खुद कोरोना से संक्रमित हो गए। अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वह 12 जुलाई को अन्य कोरोना संदिग्ध के सम्पर्क में आए जिसके बाद अगले ही दिन उन्होंने खुद को क्वारेंटाइन कर लिया। इस दौरान उन्हें गले में खरास, खांसी के साथ बुखार हुआ जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने 14 जुलाई को अपना कोरोना जांच कराया जिसके दो दिन बाद आए रिपोर्ट में उनके कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई।
खुद के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि के बाद उन्होंने हौंसले से काम लेते हुए डॉक्टरों की सलाह को तवज्जो दिया और पूरी सख्ती के साथ एहतियात बरता और 28 जुलाई को वह पूरी तरह स्वस्थ्य हो गए।
सच्चिदानंद राय बताते हैं कि इस दौरान वह हर सुबह मार्निंग वॉक के बाद हल्के गर्म पानी में काढ़ा पीते थे जिसमें एक चम्मच आंवला रस के साथ गिलॉय, एलोवेरा और निंबू का रस शामिल होता था। इसके अलावा हर दिन उन्होंने Vitamin C और Becosules Z की एक गोली निरंतर ली। इसके अलावा डॉक्टर ने उन्हें अगले पांच दिनों तक लगातार Azythral 500mg की एक टाबलेट और Vit D 60k की एक टाबलेट लगातार 28 दिन तक लेने को कहा। बुखार आने पर Paracitamol 500 की टेबलेट दिन में दो बार और Lemocetrizine की टाबलेट अगले पांच दिन दो बार कर के लेते रहें।
अपने ईलाजे के बारे में बारिकी से जानकारी साझा करते हुए एमएलसी सच्चिदानंद राय ने कहा कि इस दौरान वे हर दिन करीब 6 लीटर गर्म पानी थोड़ी थोड़ी देर पर पीते थे। इसके अलावा वह हर 6 घंटे में अपना बीपी, पल्स और ऑक्सिजन लेवल की जांच कर उसपर बारिकी से नजर बनाये रखते थे। इस दौरान बेहद ध्यान रखना होता है कि मरीज का ऑक्सिजन लेवल 95%. से कम न होने पाए। उन्होंने खासतौर पर जोर देकर कहा कि इस दौरान मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए साथ ही शारीरिक तौर पर ऐसा कोई भी काम न करें जिस वजह से आपको सांस लेने में थोड़ी भी कठिनाई महसूस हो। डॉक्टरों की सलाह पर समय के साथ दवा और घरेलु उपचार के अलावा योग और मेडिटेशन काफी असरदार साबित होता है। मरीज को बिल्कुल तनाब मुक्त रहना होता है।
सच्चिदानंद राय ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि कोरोना से घबराने की जरुरत नहीं है। संयम और डॉक्टरी सलाह के साथ इस महामारी को हराया जा सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बेशक कोरोना से घबराना नहीं है लेकिन इसे हल्के में लेना भी जान को खतने में डालने जैसा है। थोड़ी सी लापरवाही कई लोगों को मुसीबत में डाल सकती है लिहाजा लोगों को हमेशा बचाव के उपायों पर ध्यान देता चाहिए ताकि वह सुरक्षित रह सकें