द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार के सुपौल जिला के अंतर्गत आने वाला सबसे हॉट सीट सुपौल विधानसभा सीट पर तीसरे चरण में सात नवंबर को चुनाव होना है. इस बार कांटे की टक्कर में महागठबंधन समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार मिन्नत रहमानी का पलड़ा भारी नज़र आ रहा है. बता दें कि इस सीट से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के दिग्गज नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव विधायक हैं. वे NDA सरकार में मंत्री भी हैं. लेकिन हर बीतते दिन के साथ उनकी पकड़ कमजोर होती दिख रही है.
आपको बता दें कि छह बार लगातार चुनाव जीतने वाले बिजेंद्र प्रसाद की स्थिति कमजोर होने की प्रमुख वजह यह बताई जा रही है कि लोग उनसे ऊब गए हैं. दूसरी तरफ यादव वोटर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर लामबंद हैं. इसलिए इस बार वर्तमान विधयाक को वोट देने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं.
वहीं, लोजपा ने अति पिछड़ा वर्ग से प्रभाष चंद्र मंडल को उतार कर विजेंद्र यादव की मुश्किलें बढ़ा दी है. यह आम चर्चा है कि बीजेपी समर्थक एक बड़ा वर्ग लोजपा प्रत्याशी को वोट करने का मन बना चुकी है. इसका सीधा नुकसान वर्तमान विधायक को सकता है. सुपौल विधानसभा इलाका यादव, राजपूत और मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, यहां करीब तीन लाख मतदाता हैं. इनमें से 80 हजार के करीब यादव मतदाता हैं. इस इलाके में ‘माय’ समीकरण से ही उम्मीदवार की हार-जीत तय होती है. इस बार ‘माय’ समीकरण पूरी तरह तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर महागठबंधन के उम्मीदवारों के साथ मजबूती से खड़ा है. आनंद मोहन और लवली आनंद की वजह से राजपूत वोटर भी महागठबंधन के साथ है. इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग की भी अच्छी आबादी है. ब्राह्मण और दलित वोटर की भी तादाद अच्छी-खासी है.
बता दें कि सुपौल विधानसभा सीट से पूर्व के चुनावों में सात बार कांग्रेस विजयी रही थी. आजादी के बाद 1951 में कांग्रेस के लहटन चौधरी, 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के परमेश्वर कुंवर, 1958 के उप चुनाव में कांग्रेस के लहटन चौधरी, 1962 में प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी के परमेश्वर कुंवर, 1967, 1969 तथा 1972 में कांग्रेस के उमा शंकर सिंह, 1977 में जनता पार्टी के अमरेंद्र प्रसाद सिंह, 1980 में फिर कांग्रेस के उमा शंकर सिंह और 1985 में कांग्रेस के प्रमोद कुमार सिंह विजयी रहे थे.