मालदीव के तीन मंत्रियों के आपत्तिजनक बयानों से शुरू हुआ विवाद बढ़ता जा रहा है। देश में मालदीव का बहिष्कार शुरू हो गया है और कई लोगों ने मालदीव के लिए फ्लाइट और होटल बुकिंग रद्द कर दी है। आम जनता से लेकर फिल्म सेलिब्रिटीज भी भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र के समर्थन में उतर आई हैं। इस बीच मालदीव के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र और भारत का समर्थन किया है और आपत्तिजनक बयान की कड़ी निंदा की है।
चाहे राजनीतिक संकट हो, आर्थिक मदद हो या कोई आपदा, जब भी मालदीव को मदद की जरूरत पड़ी तो भारत उसके साथ खड़ा नजर आया। 2020 में जब कोरोना महामारी का संकट पूरी दुनिया पर छाया हुआ था, तब भारत सरकार ने उस स्थिति से निपटने के लिए वहां मेडिकल टीम भेजी और टीकाकरण अभियान भी चलाया। आइए अब जानते हैं कि मालदीव के वो कौन से नेता हैं जो विवाद के बीच भारत के समर्थन में खड़े हो गए हैं।
मारिया अहमद दीदी:
मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने भारत को देश का ‘911 कॉल’ बताते हुए तमाम बयानों पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह मालदीव सरकार की अदूरदर्शिता को दर्शाता है। भारत को एक विश्वसनीय सहयोगी बताते हुए मारी अहमद दीदी ने कहा कि जब भी मालदीव को रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में मदद की जरूरत पड़ी तो भारत ने हमेशा उसका समर्थन किया है।
मारिया अहमद दीदी ने कहा, ‘हम एक छोटा देश हैं और हमारी सभी के साथ दोस्ती है, लेकिन हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि हमारी सीमा भारत के साथ लगती है। हमारी रक्षा संबंधी चिंताएं समान हैं और भारत ने हमेशा हमारी मदद की है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में मदद कर हमें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है।
फ़ैयाज़ इस्माइल:
मालदीव की विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख फैयाज इस्माइल ने मोहम्मद मुइज्जू सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह आपत्तिजनक बयान उन लोगों की निजी राय है और उन्हें लगता है कि सरकार को इस मामले में कड़ा रुख अपनाना चाहिए। फैयाज इस्माइल ने कहा कि सोशल मीडिया की वजह से यह मामला भारतीयों और मालदीवियों तक फैल गया है। अब यह सिर्फ सरकारों के बीच का मामला नहीं रह गया है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इस मुद्दे पर बहस बढ़ेगी, मामला और तूल पकड़ेगा, इसलिए सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह ऐसा नहीं मानती, जो कहा गया वह उन लोगों के निजी विचार हैं, जिन्हें दुर्भाग्य से सरकार में पद मिल गए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे भारतीयों, मालदीव और पूरी दुनिया के लोगों के सामने स्पष्ट करने की जरूरत है।
अब्दुल्ला शाहिद:
मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने भी पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी का विरोध किया और कहा कि ऐसे लोगों को मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए क्योंकि लोग उन्हें जानते हैं। वह सोशल मीडिया एक्टिविस्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक हस्तियों को अपनी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए और याद रखना चाहिए कि वे सोशल मीडिया एक्टिविस्ट नहीं हैं। उन पर देश के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।’
उन्होंने कहा, ‘भारत एक परखा हुआ और अटूट सहयोगी है। हर मुश्किल में वह मदद के लिए सबसे पहले आगे आने वालों में से एक हैं। हमारा रिश्ता सम्मान, इतिहास, संस्कृति और लोगों के बीच मजबूत संबंधों पर आधारित है।
मूसा ज़मीर:
मोहम्मद मुइज्जू सरकार में विदेश मंत्री मूसा जमीर भी भारत और पीएम मोदी के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी देश के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं और मालदीव सरकार कही गई बातों पर विश्वास नहीं करती है। उन्होंने कहा कि हम आपसी सम्मान और समझ के आधार पर सभी के साथ, विशेषकर अपने पड़ोसियों के साथ सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मोहम्मद सोलेह:
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद सोलेह ने कहा, ‘हम मालदीव सरकार के मंत्रियों द्वारा की गई टिप्पणियों की निंदा करते हैं। भारत हमेशा मालदीव का अच्छा दोस्त रहा है और इस तरह की टिप्पणियों से दोनों देशों के बीच सदियों पुराने संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाना चाहिए।