द एचडी न्यूज डेस्क : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को भू समाधि दे दी गई. भू समाधि के दौरान साधु को समाधि वाली स्थिति में बिठाकर ही उन्हें विदा दी जाती है. जिस मुद्रा में उन्हें बिठाया जाता है, उसे सिद्ध योग की मुद्रा कहा जाता है. आमतौर पर साधुओं को इसी मुद्रा में समाधि देते हैं. महंत नरेंद्र गिरि की भी इसी तरह समाधि दी गई है. महंत नरेंद्र गिरि को बाघंबरी मठ के बगीचे में समाधि दी गई है. बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद उनका पार्थिव शरीर श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी लाया गया. फूलों से सजे वाहन पर पार्थिव शरीर रखकर अंतिम यात्रा शहर के मार्गों से होकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पहुंची. वहां स्नान कराने के बाद बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर फिर वापस श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी ले जाया गया. यहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महंत के पार्थिव शरीर को भू समाधि दी गई. इस दौरान संत समाज और उनके शिष्य मौजदू रहे.
आपको बता दे कि महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को संदिग्ध हालत में मृत पाए गए थे. उनके कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला था. सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा था कि 13 सिंतबर 2021 को में आत्महत्या करने जा रहा था. लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया. आज जब हरिद्वार से सूचना मिली है कि एक दो दिन में आनंद गिरि कंम्प्यूटर के जरिए किसी महिला और लड़की के साथ गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा तो सोचा सफाई दूं मगर बदनामी का डर था. मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, तो बदनामी से मैं कैसे जिऊंगा.
उन्होंने आगे लिखा आनंद गिरि का कहना है कि कहां तक सफाई देता रहूंगा. इससे दुखी होकर मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं. मेरी मौत का जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी हैं. प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारियों से मैं अनुरोध करता हूं कि उन पर एक्शन लिया जाए. मेरी हत्या के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकी मेरी आत्मा को शांति मिले. मामले में आनंद गिरि और आद्या तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं उनके चारों गनरों से भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
वहीं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए बुधवार को प्रयागराज में हैं. इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्हाेंने कहा कि हमें एसआइटी पर विश्वास रखना चाहिए. न्याय होगा, कोई दोषी बचेगा नहीं। केशव बोले कि रही बात अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की मौत की बात कि तो जितना में उन्हें जनता हूं, उसके आधार पर कह सकता हूं कि महंत जी मजबूत इच्छाशक्ति के व्यक्ति थे. वह आत्महत्या नहीं कर सकते. 24 घंटे पहले उन्होंने मुझे प्रसाद दिया. पोहा भी खाने को दिया था तो समय की कमी के कारण मैने कहा मुझे इजाजत दें इसे साथ लेकर जाने की. उनकी अनुमति पर में पोहा अपने साथ ले गया था. उन्हें मुझे रुदरक्ष की माला भी प्रसाद स्वरूप उन्हाेंने दी थी.