नई दिल्ली : बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार को एनडीए की सहयोगी पार्टी एलजेपी से झटका लगा है. एलजेपी ने नीतीश के नेतृत्व में चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है. एलजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में एलजेपी और बीजेपी की सरकार बनाने को लेकर प्रस्ताव पास हुआ. इसके साथ ही बैठक में फैसला हुआ कि एलजेपी के सभी विधायक पीएम मोदी को और मजबूत करेंगे.
एलजेपी एक साल से ‘बिहार 1st बिहारी 1st’ के माध्यम से उठाए गए मुद्दों पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. जानकारी के मुताबिक एलजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के साथ सभी सदस्य मौजूद रहे. कोरोना के चलते पशुपति नाथ पारस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक से जुड़े. बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने की. इसके अलावा सूरजभान सिंह, चंदन सिंह, वीणा देवी, राजू तिवारी, प्रिंस राज, काली पांडेय और अब्दुल खालिक भी मौजूद रहे.
वहीं बिहार में JDU हालांकि 50:50 के अनुपात में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गई है. वहीं चिराग के अलग होने की स्थिति में वह ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है. ऐसा होने पर बीजेपी को एक नई मांग से सहमत होने में परेशानी हो सकती है क्योंकि इसका मतलब है कि अपने हिस्से को कम करना पड़ सकता है.
आपको बता दें कि एनडीए से अलग होने के बाद पटना स्थित लोजपा कार्यालय में जश्न मनाया गया. एनडीए से अलग होने के बाद कार्यालय में लोजपा कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और रंग गुलाल उडा़ये. साथ ही पटाखे भी छोड़े गए. पार्टी कार्यालय में कई विधायक, मीडिया प्रभारी कृष्णा कुमार कल्लू के साथ कई लोजपा कार्यकर्ता भी मौजूद रहे.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट