गुमला : झारखंड के गुमला में मानवता को भी शर्मसार करने वाली घटना घटी है. केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकार स्वास्थ चिकित्सा व्यवस्था सुधार करने में लगी हुई है. जिससे मरीज को बेहतर इलाज और सुविधा मिल सके. वहीं दूसरी ओर गुमला में वार्ड के नर्स की मनमानी बदस्तूर जारी है. जिन लोगों का इलाज पर ध्यान देना चाहिए, यहां उनका इलाज पर ख्याल नहीं रखा जाता है. मरीज मर जाने के बाद उस पर इतना ध्यान दिया जाता है. मरने के तीन घंटे बाद पर सारी व्यवस्था इलाज में लगे रहता है. मगर जो जिंदा मरीज है उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है. इसी तरह का लापरवाही का मामला गुमला सदर अस्पताल में घटी. यह तस्वीर जिंदा मरीज का इलाज को छोड़ अब मुर्दा में जान को फूंकने की कोशिश किया गया है.
मामला जिले के चर्चित और मॉडर्न सदर अस्पताल गुमला की है. जो अक्सर अपने अजूबे कारनामे को लेकर सुर्खियों में रहा. दर्शल हुआ यूं कि कामडारा प्रखंड के ग्राम हापु कामा टोली निवासी 70 वर्षीय दुलारी देवी जो सास व अन्य बीमारी से ग्रसित थी और 108 एम्बुलेंस की मदद से सदर अस्पताल गुमला लाया गया था. जिसमें डॉक्टर के द्वारा मरीज को महिला वार्ड-223 में भर्ती के लिए भेज दिया. लेकिन आधा घंटा तक यू ही पड़ा रहा लेकिन नर्स के द्वारा मौत से लड़ रही महिला की सुध नहीं लिया. घंटों बीत जाने के बाद भी नर्स के द्वारा तत्कालीन उपचार नहीं किया गया, मरीज काफी सीरियस था. इसी बीच महिला की मौत हो गई. काफी लेट होता देख मृतक की बेटी फुलमनी ने मीडिया की मदद ली. जिसके बाद आनन-फानन में नर्स के द्वारा ऑक्सीजन सलाईन दवा दिया लगभग दो घंटा तक मरीज को ऑक्सीजन दवा चढ़ता रहा है. जबकि दुलारी देवी की मौत दो घंटा पहले ही हो गई थी. वहीं मुर्दा शरीर मे जान फूंकने की जदोजहद के बाद भी मरीज को मौत होने के बाद पीड़ित परिवार ने मुआवजे की मांग किया है.
वहीं भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष अनूप चंद्र अधिकारी ने मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है. घटना को लेकर चिंता जाहिर किया है और वर्तमान सरकार को आरे हाथों लिया है. उन्होंने कहा है कि हेमंत की सरकार में लॉ एंड ऑडर पूरी तरह से फेल है. सभी विभाग में मनमानी चल रहा है. आपराधिक तबके का मनोबल बढ़ गया है. वहीं चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सिस्टम ठीक नहीं होता है तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे.
इधर, मीडिया के द्वारा मामले को लेकर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर आनंद उरांव को जानकारी हुई. उन्होंने साफतौर पर कहा कि लापरवाही का यह कोई स्थान नहीं है, मामला संज्ञान में आया है. जांच कर कारवाही करने की बात कही है. बहरहाल, अस्पताल को बेहतर सेवा और कार्य के लिए सदर अस्पताल गुमला को कायाकल्प से पुरस्कार के तहत 50 लाख रुपया से सम्मानित भी किया गया. लेकिन सदर अस्पताल के कर्मी की मनमानी और लापरवाही की खामियजा अब मरीज को भुगतना पड़ रह है. ऐसे कर्मचारी पर कार्यवाही करने की जरूरत है. जिससे सिस्टम में सुधार हो सके नहीं तो जनता गोलबंद होकर आंदोलन करने को तैयार है.
गौरी रानी की रिपोर्ट