द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार की राजनीति में लगातार हलचल हो रही है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के जनता दल (यू) में मर्जर की संभावनाएं जताई जा रही हैं, लेकिन उससे पहले ही रोलसपा को बड़ा झटका लगा है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के कई नेताओं ने अब राजद का दामन थाम लिया है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा, प्रदेश महासचिव निर्मल कुशवाहा और महिला सेल की प्रमुख मधु मंजरी कार्यकर्ताओं के साथ RJD में शामिल हुई. बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की मौजूदगी में सभी नेता राजद में शामिल हुए.
रालोसपा के जिला, प्रदेश व राष्ट्रीय इकाई के सभी मजबूत नेतागण, सभी प्रकोष्ठों के अध्यक्षों एवं सभी बड़े पदधारकों ने आज नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता व समावेशी सोच में आस्था दिखाते हुए रालोसपा का पूरी तरह से विलय राजद में कर दिया. समाजवाद की जय.
राजद में शामिल होने के बाद वीरेंद्र कुशवाहा ने कहा कि रालोसपा का निर्माण 2009 में गांधी मैदान में हुआ था. नीतीश कुमार को गद्दी से हटाने का निर्णय लिया था. उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के साथ जाने का फैसला लिया. इसलिए पार्टी के राजद में विलय का निर्णय लिया. हमलोग उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी से निष्कासित करते हैं.
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव का सीएम नीतीश कुमार और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा पर हमला किया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सबसे बड़े कमजोर सीएम है. तेजस्वी यादव ने जदयू विधायक रिंकू सिंह द्वारा किए गए हत्या का मामला उठाया. बिहार के शासन को राक्षस राज बताया. मृतक जिलापार्षद की पत्नी को मीडिया के सामने लाकर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सरकार में विधायक लोगों को जान से मारा जा रहा है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है. मृतक की पत्नी ने खुद हत्या करने वाले को देखा है इसलिए हत्यारे पर कार्रवाई होनी चाहिए.

दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP का नीतीश कुमार की पार्टी JDU में मर्जर होने जा रहा है. दोनों नेताओं के बीच कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं. माना जा रहा है कि 14 मार्च को उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी की अहम बैठक के बाद इसे लेकर अंतिम निर्णय भी लेने वाले हैं. लेकिन ये फैसला होने से पहले ही पार्टी में टूट होती दिख रही है.
बीते महीनों में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में जबरदस्त टूट हुई है, जो अभी तक जारी है. ऐसे में लगातार लग रहे इन झटकों का मर्जर पर क्या असर पड़ता है, ये देखने वाली बात होगी. गौरतलब है कि यूं तो नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा का साथ लंबा रहा है, लेकिन 2013 में नाराजगी के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू छोड़ अपनी अलग बना ली थी. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली थी.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट