खगड़िया : कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में लोगों के घरों से निकलने पर पाबंदी है. लेकिन कुख्यातों की अवाजाही व उनके गैंगवार को भला कौन रोके? हम बात कर रहे हैं पूर्वी व उत्तरी बिहार के एक बड़े भूभाग के आतंक कुख्यात रामानंद यादव व उसके भतीजे की गैंगवार में हत्या की. रामानंद की अदावत नक्सलियों सहित कई अपराधी गिरोहों से थी. वह एसटीएफ के भी निशाने पर था. बुधवार की शाम में नक्सलियों ने उसे पुलिस वर्दी में घेर कर मार डाला.

भतीजे व साथी के साथ मारा गया दियारा का आतंक
मिली जानकारी के अनुसार बुधवार अपराह्न में सहरसा-खगड़िया सीमा पर स्थित चिरैया हाट के बेलाही कलवारा गांव में काली मंदिर के समीप गैंगवार में कोसी का आतंक कहा जाने वाला रामानंद यादव अपने भतीजे व एक नजदीकी सहयोगी के साथ मारा गया. दोनों पक्षों की ओर से हुई जबरदस्त गोलीबारी में चार लोगों के घायल होने की भी सूचना है.

बहनोई के दाह संस्कानर में शामिल होने आया था कुख्यात
बताया जा रहा है कि रामानंद यादव के बहनोई शीतल यादव का निधन हो गया था. उसके दाह-संस्कार में भाग लेने वह अपने गिरोह के साथ पहले कोसी दियारा इलाके में धनौजा पहुंचा, फिर वहां से कठडुमर गया. बुधवार की सुबह वह बेलाही के लिए निकला. रास्ते में बुधवार की शाम उसकी हत्या कर दी गई.
नक्सलियों ने पुलिस वर्दी में पीछा कर घेरा, मार डाला
रामानंद यादव की नक्सलियों के पुरानी अदावत रही है. उसके आने की सूचना नक्सलियों को मिल चुकी थी. सूत्रों के अनुसार बुधवार की सुबह से ही पुलिस वर्दी में कुछ नक्सली उसके गिरोह की रेकी कर रहे थे. शाम के वक्तर जब वह साथियों के साथ घर जा रहा था, जब उन्होंने अचानक हमला कर दिया. रामनंद यादव गिरोह ने जवाब दिया, लेकिन जबतक देर हो चुकी थी.

एसटीएफ के निशाने पर था, एक महीने पहले हुई थी मुठभेड़
रामानंद यादव के खिलाफ सहरसा, खगड़िया, दरभंगा, मधुबनी व समस्तीपुर सहित कई अन्य जिलों में हत्या, अपहरण व लूट के दर्जनों मामले दर्ज हैं. कोसी के दियारा इलाके में उसकी समानांत सरकार चलती थी. दियारा पर वर्चस्व को लेकर उनकी कई अन्य गिरोहों से अदावत रही. वह नक्सलियों के निशाने पर भी रहा. विभिन्न अपराधिक मामलों में एसटीएफ को भी उसकी तलाश थी. एक महीने पहले भी एसटीएफ से मुठभेड़ में वह बच निकला था.
इसके पहले 2007 में कुख्यात रामानंद यादव का सिमरी बख्तियारपुर में पूर्व एसडीपीओ सत्यनारायण प्रसाद से चिरैया ओपी क्षेत्र के सोनबरसा मुसहरी में आमने-सामने की मुठभेड़ हुई थी. इसमें एक सिपाही को भी गोली लगी थी. रामानंद यादव ने सरेंडर कर दिया था. गिरफ्तारी के बाद वह सहरसा जेल में कई महीनों तक बंद रहा था.
रामानंद के रहे राजनीतिक कनेक्श न, बेटा लड़ चुका चुनाव
रामानंद यादव के राजनीतिक संपर्क भी रहे. उसका बेटा सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र से 2005 में जन अधिकार पार्टी (जाप) से चुनाव लड़ चुका है.

कोसी दियारा में वर्चस्व की नई जंग शुरू होने की आशंका
बहरहाल, रामानंद यादव की मौत के बाद पुलिस ने राहत की सांस जरूर ली है, लेकिन कोसी के दियारा में वर्चस्व की नई जंग के शुरू होने की आशंका भी गहरा गई है. अनहोनी की आशंका को देखते हुए सहरसा व खगड़िया की पुलिस सतर्क है. खास कर दियारा इलाके की निगरानी की जा रही है. लेकिन यह सवाल तो खड़ा है ही कि जब लॉकडाउन में लोगों का घरों से निकलना बंद है, जब नक्सली और अपराधी गिरोह कैसे घूमते हैं, गैंगवार जैसे बड़े अपराध करते हैं और गायब हो जाते हैं?
अनीश कुमार की रिपोर्ट