नई दिल्ली : देश में हर किसी के पास बैंक खाता हो गया है. ज्यादातर सरकारी योजनाओं के लाभ आपको बैंक अकाउंट के द्वारा ही मिलते हैं. बैंक में खाता खुलवाते वक्त आपको अकाउंट खोलने का फार्म दिया जाता है. इस फॉर्म में आपसे यह जानकारी ली जाती है कि आप सेविंग/करंट अकाउंट में कैन-सा खुलवाना चाहते हैं. लेकिन, यह बहुत कॉमन है कि ज्यादातर लोग सेविंग अकाउंट ही खुलवाते हैं. इसके अलावा हम जब भी एटीएम से पैसे निकालते हैं तो उस दौरान भी हमें स्क्रीन पर अकाउंट को चुनने का ऑप्शन आता है. हमें बताना पड़ता है कि हमारा अकाउंट सेविंग है या करंट है.
लेकिन, अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर सेविंग और करंट अकाउंट में अंतर क्या होता है? ज्यादातर लोगों को इन दोनों अकाउंट के बीच का फर्क नहीं पता होता है. ऐसे में आज हम आपको बेहद आसान भाषा में सेविंग और करंट बैंक अकाउंट के बीच के अंतर को बताते हैं. इससे आप अपनी जरूरत के अनुसार बैंक अकाउंट को चुन सकते हैं.
सेविंग अकाउंट क्या है?
सेविंग अकाउंट को आसान भाषा में बचत खाता भी कहा जाता है. यह खाता आम आदमी के लिए बहुत लाभकारी होता है. इस खाते के द्वारा आपको पैसे सेव करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इस अकाउंट में आप थोड़ा-थोड़ा करके पैसे सेव कर सकते हैं. जमा पैसों पर आपको ब्याज भी मिलता है. अकाउंट को आप अकेले या जॉइंटली खुलवा सकते हैं. अकाउंट पर चार से छह प्रतिशत तक ब्याज दर मिलता है. यह बैंक खुद तय करते हैं. वहीं सीनियर सिटीजन को ब्याज दर में कुछ छूट मिलती है.
करंट अकाउंट क्या है?
करंट अकाउंट को आसान भाषा में चालू खाता भी कहा जाता है. यह ज्यादातर व्यापारियों के लिए होता है. इस अकाउंट में ज्यादातर लगातार लेन देन चलता ही रहता है. यह खाता रेगुलर ट्रांजेक्शन के लिए अच्छा माना जाता है. खाता धारक ज्यादातर बिजनेस आर्गेनाइजेशन, फर्म आदि के होते हैं. इस अकाउंट में किसी तरह का ब्याज नहीं मिलता है.
सेविंग और करंट अकाउंट के बीच में है ये अंतर
आपको बता दें कि सेविंग अकाउंट आम लोगों के लिए बनाया गया है वहीं करंट अकाउंट व्यापारियों के लिए बनाया गया है. बचत खाते में ब्याज मिलता है, चालू खाते में किसी तरह का ब्याज नहीं मिलता है. सेविंग अकाउंट में एक लिमिट तक ही आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं वहीं करंट अकाउंट में ट्रांजेक्शन लिमिट नहीं होती है. जितना चाहे उतना ट्रांजेक्शन कर सकते हैं.