द एचडी न्यूज डेस्क : झारखंड में आदिम जनजाति कोरबा की पहली बेटी प्रशासनिक अधिकारी बनेगी. गढ़वा की रहने वाली चंचला कुमारी का JPSC की सिविल परीक्षा में चयन हुआ है. चंचला फिलहाल रांची में ही वायरलेस में एसआई के पद पर पदस्थापित हैं. 2018 में उनका चयन वायरलेस में हुआ था. चंचला बचपन से ही पढ़ाई में होनहार थी. 2009 में वे नवोदय विद्यालय की टॉपर रही हैं. उसके बाद BIT मेसरा से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा किया. उसके बाद BIT सिंदरी से बीटेक.
चंचला कहती हैं बीटेक करने के दौरान ही उनके मन में सिविल सेवा की तैयारी करने का ख्याल आया. इसलिए बीटेक करने के बाद किसी कंपनी में नौकरी करने के बजाय सिविल सेवा की तैयारी में लग गई. इधर, JPSC का परीक्षा टलता रहा तो वायरलेस की परीक्षा दी उसमें सफल हो गई और नौकरी जॉइन कर ली.
चंचला के पिता बिगन कोरवा शिक्षक हैं. वे भी कोरवा आदिम जनजाति में पहले शिक्षक बने थे. चंचला चार भाई-बहन है. चंचला सबसे बड़ी है. एक छोटा भाई बीटेक कर चुका है और दो भाई-बहन स्कूल में हैं. मां हाउस वाइफ है. चंचला कहती है मेरी सफलता का रास्ता पापा ने ही तैयार किया है. अगर वे पढ़ाई कर शिक्षक नहीं बने होते तो हम यहां तक नहीं पहुंच पाते.
चंचला बताती हैं कि उनके पिता पहले अखबार बेचने का काम करते थे. एक सरकारी कर्मचारी के घर खाना भी बनाने का काम करते थे. किसी तरह मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी किये उसके बाद शिक्षक बन गए. चंचला का JPSC की परीक्षा में स्पेशल पेपर हिंदी था. लेकिन उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से ही बांकी पेपर के जवाब दिए. चंचला कहती है इंटरव्यू में जब इंटरव्यू लेने वालों को पता चला कि मैं आदिम जनजाति से हूं तो मुझसे आदिवासी से जुड़े कई सबल पूछे गए.
चंचला कहती है कि उन्होंने सिविल सेवा को इसलिए चुना क्योंकि इससे वो सिर्फ खुद को नहीं बल्कि अपने पूरे समाज को बदल सकती है. वह कहती है प्रशासनिक सेवा में आने के बाद तो मैं किसी खास समाज के लिए काम नहीं कर सकती लेकिन मैं चाहती हूं कि आदिम जनजातीय के लिए कुछ बेहतर हो. उनके शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कुछ बेहतर उपाय हों. वे कहती हैं कि फिलहाल आदिम जनजातीय की झारखंड में जो स्थिति है वह ठीक नहीं है.

चंचला अविवाहित हैं. जब उनसे पूछा गया कि आप अधिकारी बन गईं और आप बता रहीं है कि आपके समाज में इतना कोई पढ़ा लिखा नहीं है तो शादी किससे करेंगी. चंचला कहती हैं शादी जरूरी नहीं है. जरूरी है समाज में जागरूकता लाना और सबको शिक्षित करना.
कोरवा आदिम जनजाति झारखंड में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आई है. कोरवा मुंडा जनजाति की उपशाखा है. इनका संबंध महान कोलेरियन प्रजाति से है. गढ़वा के 12-13 गांवों में इनकी प्रमुख आबादी है. वैसे लातेहार, पलामू, चतरा, कोडरमा, दुमका और जामताड़ा में भी कोरवा रहते हैं 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी आबादी महज 35606 है.
झारखंड में कैबिनेट के मंत्री व जेएमएम विधायक मिथिलेश कुमार ठाकुर ने सूबे की बेटी चंचला को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आदिम जनजाति (कोरवा) से आने वाली गढ़वा जिले के रंका प्रखंड के सिग्सिगाकला की चंचला कुमारी ने जेपीएससी की परीक्षा पास कर जिले जा नाम रौशन किया है ! आप कोरवा जनजाति की अन्य छात्राओं की प्रेरणा स्रोत हैं !! आपको इस सफलता पर बहुत-बहुत बधाई.
सन्नी शरद की रिपोर्ट