चीन सीमा पर सड़क बनाने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से लद्दाख भेजे गए कई मजदूर वहां की व्यवस्था से असंतुष्ट और परेशान हैं। कई मजदूरों ने अपने परिवार के लोगों को लद्दाख से यह सूचना भेजी है कि उन्हें खाने-पीने की दिक्कत हो गई है। न उन्हें वहां काम मिला है और न ही वेतन। पास में जो पैसे थे वो खर्च हो चुके हैं। अब घर लौटना चाहते हैं पर पैसा नहीं है।
काठीकुंड के कदमा निवासी कलीम अंसारी, सलीम अंसारी, सनाउल अंसारी, अब्दुल अंसारी, याकूब अंसारी, लुकमान अंसारी, गुलाम अंसारी सहित 22 मजदूरों को प्रखंड में रजिस्ट्रेशन के बाद 13 जून को स्पेशल ट्रेन से लद्दाख भेजा गया था। इन मजदूरों ने करीब सवा महीना बाद ही फोन कर अपने परिवार के सदस्यों को जब अपनी व्यथा बताई तो यहां परिवार के लोग भी परेशान हो गए।
बुधवार को मजदूरों के परिवार के लोग काठीकुंड प्रखंड मुख्यालय पहुंचे और बीडीओ रजनीश कुमार से मिले। उन्हें लद्दाख गए मजदूरों की परेशानी से अवगत कराया। बीडीओ से मिलने वालों में मजदूरों के परिवार की कई महिला सदस्य थीं। बीडीओ को बताया गया कि लद्दाख गए मजदूरों को अच्छा वेतन और सारी सुविधाएं देने की जितनी बातें कहीं गई थी, उसमें कुछ नहीं हो रहा है। यहां तक कि निजी खर्च से भोजन करना पड़ रहा है। मजदूर वापस आने के लिए परिवार वालों से ही पैसों की मांग कर रहे हैं। कदमा निवासी मजदूरों के परिवार वालों ने बीडीओ को लिखित आवेदन देकर वापस मंगाने या उचित व्यवस्था करा देने की गुहार लगाई है। बीडीओ रजनीश कुमार ने मामले की जानकारी श्रम विभाग और उच्चाधिकारियों को दी है।