देश पिछले तीन महीनों से कोरोना काल के बीच लॉक डाउन की मार झेल रहा है। इस वक्त सबसे ज्यादा खतरा लोगों के रोजगार पर पड़ा है। देश और राज्यों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है. सरकार के पास राज्य की गतिविधियां चलाने तक को पैसे नहीं हैं। हेमंत सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि उसका खजाना खाली है। ऐसे में जो खबर अब सामने आ रही है वह काफी चिंताजनक है।
कोरोना ने झारखंड में आधे से अधिक लोगों का रोजगार छीन लिया है। देश में सबसे अधिक बेरोजगार लोगों का हिस्सा झारखंड में हो गया है। मई महीने में झारखंड में बेरोजगारी 59.2 फीसदी हो गई है। यह देश के सभी राज्यों से ज्यादा है। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से मई के बाद जारी ताजा आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट को अगर जमीनी हकीकत के करीब माने तो झारखंड में कोरोना काल के दो महीनों अप्रैल और मई में 50.5 फीसदी लोग बेरोजगार हो गए हैं। मार्च में झारखंड में बेरोजगारी का आंकड़ा 8.2 फीसदी था। अप्रैल में यह 47.1 और मई में 59.2 फीसदी पर पहुंच गया। झारखंड में राष्ट्रीय औसत 22.5 फीसदी के मुकाबले ढाई गुना से भी अधिक बेरोजगारी है। पड़ोसी राज्यों की अगर बात करें तो बिहार में यह 46.2 फीसदी ही है। उत्तर प्रदेश में यह 20.8 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 11.3 फीसदी और ओड़िशा तथा पश्चिम बंगाल में क्रमश: 9.6 फीसदी और 17.4 फीसदी है। झारखंड में बेरोजगारी के आंकड़ों के इस भयावह स्तर पर चले जाने के पीछे प्रदेश में लगातार लौट रहे प्रवासी मजदूरों के हुजूम को कारण बताया जा रहा है। हालात बेहद ही चिंता जनक बताए जा रहे हैं।
उद्योग-धंधे बंद : झारखंड में छलांग लगाती बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण मजदूरों के रिवर्स माइग्रेशन के अलावा उद्योग-धंधे का बंद होना भी है। मई में खेतीबाड़ी भी नहीं होती। ऐसे में लोग भी घर बैठे हैं। निर्माण परियोजनाओं के भी पूरी तरह से नहीं शुरू हो पाने के कारण दिहाड़ी मजदूरों के भी काम के लाले पड़े हैं।
मजदूरों को काम मिलने लगा है : झारखंड राजकोषीय अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रमुख हरीश्वर दयाल ने कहा कि झारखंड में बेरोजगारी बढ़ी है, पर सीएमआईई के आंकड़ों को अनुमान से ज्यादा नहीं कहा जा सकता है। मजदूरों को काम मिलने लगा है। इसलिए बेरोजगारी दर में कमी आनी शुरू हो जाएगी।
ग्रामीण बेरोजगारी अधिक : झारखंड ग्रामीण बेरोजगारी के मामले में भी देश में सबसे ज्यादा है। मई में झारखंड की ग्रामीण बेरोजगारी 55.1 फीसदी आंकी गई। जो राष्ट्रीय औसत 21.6 फीसदी के मुकाबले ढाईगुने से भी अधिक है। पड़ोसी बिहार के गांवों में बेरोजगारी केवल 47.3 फीसदी है। पड़ोसी उत्तर प्रदेश में यह 16.9 फीसदी है। पश्चिम बंगाल में यह 18.4 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 7.6 फीसदी और ओड़िशा में 9.4 फीसदी है। शहरी बेरोजगारी के मामले में झारखंड पुडुचेरी के 75 फीसदी के बाद 70.2 फीसदी के साथ देश में दूसरे नंबर पर है। यहां भी भारत के 24.2 फीसदी की तुलना में झारखंड में लगभग तिगुना शहरी बेरोजगारी है। बिहार में शहरी बेरोगारी 37.9 फीसदी है।
बेरोजगारी की स्थिति (%में)
प्रदेश बेरोजगारी ग्रामीण शहरी
झारखंड 59.2 55.1 70.2
बिहार 46.2 47.3 37.9
उत्तर प्रदेश 20.8 16.9 32.1
ओड़िशा 9.6 9.4 10.0
छत्तीसगढ़ 11.3 7.6 24.1
पश्चि बंगाल 17.4 18.4 15.2
भारत 22.4 21.6 24.2