रांची : झारखंड सरकार ने धनबाद और बोकारो की क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटा दिया है. झारखंड सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है. बोकारो और धनबाद जिले के क्षेत्रीय भाषा की सूची में अब नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, उर्दू और बंगला को रखा गया है. बाकी जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह निर्णय लेने के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को विश्वास में लिया. उनसे चर्चा के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. सरकार के इस कदम से इन भाषाओं के युवाओं को धनबाद और बोकारो में जिला स्तर की सरकारी नाैकरी नहीं मिलेगी.
ता दें कि राज्य में भाषा विवाद को पाटने की राजनीति चरम पर थी. धनबाद और बोकारो में जिला स्तर पर भोजपुरी और मगही भाषा को हटाने को लेकर सत्ताधारी दल जेएमएम ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और गठबंधन में शामिल कांग्रेस से मांग की थी. समय के साथ बढ़ते भाषायी विवाद को देखते हुए झारखंड मंत्रालय में आवश्यक बैठक हुई. शुक्रवार शाम में इस पर सरकार का फैसला सामने आ गया.
हैरान करने वाली बात ये है कि इस सिलसिले में संशोधन का प्रस्ताव सत्ताधारी दल ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के समक्ष लाया था. धनबाद और बोकारो जिले से भोजपुरी और मगही को हटाये जाने को लेकर झारखंड मंत्रालय में जेएमएम और कांग्रेस के प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री की आवश्यक बैठक हुई. इस बैठक में जेएमएम ने इन दोनों ही जिलों से भोजपुरी और मगही को हटाने का प्रस्ताव कांग्रेस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष रखा.
धनबाद और बोकारो जिला से भोजपुरी और मगही को हटाए जाने को लेकर कांग्रेस की सहमति जरूरी थी. शायद इस बात को समझते हुए जेएमएम ने ये बड़ा राजनीतिक दाव खेला. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी बात रखी. कांग्रेस इस विवाद का समाधान चाहती थी.
भोजपुरी और मगही को धनबाद और बोकारो से हटाए जाने के बाद क्या होगा, इसका राजनीतिक आकलन करना भी राज्य सरकार के लिए जरूरी है. क्योंकि फिलहाल भोजपुरी और मगही को शामिल करने का विरोध हो रहा है और इसके बाद इसे हटाए जाने का विरोध शुरू हो जाए, तो ये चौंकाने वाली बात नहीं होगी. इसके साथ-साथ हिंदी को शामिल करने का मुद्दा भी कांग्रेस के खेमे से उठने की पूरी गुंजाइश है.
गौरी रानी की रिपोर्ट